भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक-एक टेस्ट मैच जीतने के बाद दोनों टीमें मेलबर्न में दो-दो हाथ करने के लिए बेताब है. पहले टेस्ट में टीम इंडिया की जीत और दूसरे टेस्ट में पर्थ के कथित तेज पिच की चर्चा के बाद स्पिनर नाथन लॉयन की सफलता के बाद ऑस्ट्रेलिया की जीत के बाद मेलबर्न पिच के बारे में चर्चाएं जोरों पर हैं. इसी मैदान पर साल 1977-78 में टीम इंडिया ने यहां 222 रनों से एतिहासिक जीत हासिल की थी. इस मैच में 18 विकेट स्पिनर्स ने लिए थे. इस मैच में दोनों टीमों की ओर से छह स्पिनर्स ने गेंदबाजी की थी.
टीम इंडिया को इस बार के ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले ही मैच में जीत मिली. कहा गया एडिलेड की पिच में वह तेजी नहीं थी इसलिए टीम इंडिया को इसका फायदा मिल गया. दूसरा टेस्ट पर्थ के नए मैदान ऑप्टस पर होना था जहां इससे पहले कभी कोई टेस्ट मैच नहीं खेला गया था. बताया गया कि पिच वाका की पिच की तरह ही तेज होगी, इस मैच के लिए टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने पिच पर घास देख कर चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरने का फैसला किया था जबकि टीम में एक भी नियमित स्पिनर नहीं था.
बिना स्पिनर के उतरना महंगा पड़ा था विराट को
पर्थ टेस्ट में विराट को बिना स्पिनर के साथ उतरना महंगा पड़ा था, जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम के स्पिनर नाथन लायन ने 8 विकेट लेकर मेजबान टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. इस मैच में टीम इंडिया को 141 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. अब विराट के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि मेलबर्न में गेंदाबाजी का क्या संयोजन होना चाहिए. क्या विराट एक स्पिनर को साथ लेकर उतरेंगे. ऐसे में उन्हें केवल तीन तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरना पड़ेगा. काफी कुछ पिच पर भी निर्भर करता है. विराट की कोशिश होगी कि इस बार वे पिच भांपने में गलत साबित न हों.
पहले स्पिनर्स जिता चुके हैं भारत को मेलबर्न में
वहीं एक तथ्य विराट की मदद कर सकता है. साल 1977-78 में बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में टीम इंडिया के एक तेज गेंदबाज और तीन नियमित स्पिनर्स के साथ मेलबर्न टेस्ट खेली थी और स्पिनर्स ने इस मैच में 18 विकेट लेकर टीम को जीत दिलाई थी. इस मैच में बेदी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी को चुना था और टीम 256 रनों पर ही सिमट गई थी. इसके जवाब में बेदी और चंद्रशेखर की फिरकी के आगे ऑस्ट्रेलिया केवल 213 रनों पर आउट हो गई थी. चंद्रशेखर ने इस पारी में छह विकेट लिए थे. टीम इंडिया के लिए दूसरी पारी में सुनील गावस्कर ने शतकीय पारी खेली जिसके दम पर भारत ने 343 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 387 रनों का लक्ष्य दिया, लेकिन चंद्रशेखर और बेदी की स्पिन जाल में मेजबान टीम उलझ कर रह गई और 164 रनों पर ही ढेर हो गई. इस पारी में बेदी ने 4 और चंद्रशेखर ने 6 विकेट लिए थे.
विराट की समस्याएं कम नहीं हैं
विराट के लिए यह मैच एक खास सबक हो सकता है. अगर विराट अपनी ताकत पर ध्यान दें तो शायद इससे फर्क न पड़े कि पिच कैसी. पिच जैसी भी हो दोनों टीमों के लिए समान ही होगी. उससे ज्यादा विराट के लिए टीम इंडिया की बल्लेबाजी एक बड़ी समस्या होगी जिस पर उन्हें ध्यान देना होगा. टॉप ऑर्डर, लोअर ऑर्डर और टीम के बाकी खिलाड़ीयों में अनियमितता उनके लिए ज्यादा बड़ी चिंता होगी.
बहराल, ऑस्ट्रेलिया पर्थ टेस्ट जीत कर सीरीज में हावी हो गया है ऐसा भी नहीं उसकी अपनी समस्याएं और चुनौतियां हैं. कुल मिलाकर यह टेस्ट रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है. इतना तय है कि विराट पहले टेस्ट की जीत का मनोवैज्ञानिक लाभ लेने ले चूक गए हैं.