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B’day Special: विदेश में पहला टेस्ट मैच और सीरीज जिताने वाला भारत का सबसे सफल कप्तान

टीम इंडिया के मशहूर पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी का शनिवार को जन्मदिन है. पटौदी को टीम इंडिया का सबसे बेहतरीन कप्तान के तौर पर जाना जाता रहा है. एक दुर्घटना में अपनी एक आंख खोने के बाद भी मंसूर ने साहस का परिचय देते हुए क्रिकेट में वापसी की और क्रिकेट में शानदार करियर बनाया. विदेश में भारत को पहले टेस्ट मैच और पहली टेस्ट सीरीज में जीत दिलाने वाले मंसूर ही थे.

मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था. 1 जुलाई 1961 को होव में एक कार एक्सीडेंट में एक कांच का टुकड़ा उनकी आंख में लग गया और उनकी दाईं आंख हमेशा के लिए खराब हो गई. इस दुर्घटना के बाद लगने लगा कि उनके क्रिकेट करियर पर हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. उन्हें दो इमेज दिखाई देने लगी थीं, यहां तक कि लेंस लगाने से भी उनकी यह समस्या खत्म नहीं हुई. पटौदी जल्दी ही नेट प्रैक्टिस पर लौटे और एक आंख के साथ ही अपने खेल में शानदार  वापसी की.

एक आंख खोने के बाद भी खेलते रहे शानदार क्रिकेट
आंख में खराबी आने के 6 महीने से भी कम समय में पटौदी ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. वे दिल्ली में इंग्लैंड के विरोध में खेले. वे अपनी दाईं आंख कैप के नीचे छुपाकर खेलते थे. मद्रास (चेन्नई) में अपने तीसरे ही टेस्ट में पटौदी ने 103 रन बनाए. उनके इन रनों की बदौलत भारत इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली सीरीज जीतने में सफल हुआ.

जन्मदिन पर हुआ था क्रिकेटर पिता का देहांत
मंसूर के पिता इफ्तिखार अली खान भी एक जाने-माने क्रिकेटर थे. मंसूर की शिक्षा अलीगढ़ के मिंटो सर्कल में हुई. उनकी आगे की शिक्षा देहरादून (उत्तराखंड) के वेल्हैम बॉयज स्कूल में हुई. उन्होंने हर्टफोर्डशायर के लॉकर्स पार्क प्रेप स्कूल और विंचेस्टर स्कूल में भी अध्ययन किया. मंसूर अली खान ने अरेबिक और फ्रेंच ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज में पढ़ी. मंसूर अली खान के पिता की दिल्ली में पोलो खेलते समय मृत्यु हो गई. वे खान के 11वें जन्मदिन पर चल बसे थे. 1952 में मंसूर उनके स्टेट के नौवें नवाब बने. वे 1952 से 1971 तक वे पटौदी के नवाब रहे.  खान का स्टेट भारत सरकार में 1947 में ही मिल चुका था, परंतु उनका ‘नवाब’ टाइटल 1971 में खत्म किया गया.

सबसे कम उम्र के कप्तान
1962 में पटौदी को वाइस कैप्टन वेस्टइंडीज टूर के लिए बनाया गया. मार्च 1962 में मंसूर अली खां पटौदी भारतीय टीम के कप्तान नियुक्त किए गए. 21 साल और 77 दिन की उम्र में वे कप्तान बनाए गए. कई वर्षों तक दुनिया के सबसे कम उम्र के कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम रहा जिसे बाद में ततेन्दा तैबु ने मई 2004 में तोड़ा. 2015 के नंवबर तक उनके नाम भारत के सबसे कम उम्र के कप्तान और दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के कप्तान होने का रिकॉर्ड रहा.

शानदार रिकॉर्ड रहा पटौदी का
पटौदी ने भारत की तरफ से 46 मैच खेलते हुए करीब 35 की औसत से 2793 रन बनाए जिसमें छह शतक 16 अर्धशतक शामिल हैं. 8 फरवरी 1964 को पटौदी ने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार 203 रन बनाए थे, जो उनके क्रिकेट करियर का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर है. उन्होंने न्यूजीलैंड में भारत को चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-1 से जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था.

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