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MP में सत्ता बदलते ही छलका एक प्रशासनिक अधिकारी का दर्द, बताया ‘खान’ सरनेम से हैं परेशान

भोपाल। अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर लिखे गए उपन्यास को लेकर चर्चाओं में रहे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज अहमद एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने खान सरनेम को लेकर अपने ट्विटर एकाउंट पर जमकर भड़ास निकाली है. आपको बता दें कि नियाज फिलहाल लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं. उनका कहना है कि देश में मुस्लिम अधिकारियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है. नियाज ने अपने ट्वीट में लिखा है कि ‘खान’ शब्द उनके साथ भूत की तरह चिपका हुआ है.

देवास में अपनी पीड़ा बताते हुए नियाज ने कहा है कि 17 साल की नौकरी में उनके 19 तबादले 10 विभिन्न जिलों में किए गए हैं. गुना जिले में पदस्थ रहते हुए देश का सबसे बड़ा ओडीएफ घोटाला पकड़ने के बावजूद नियाज का कहना है कि उन्हें लूप लाइन पोस्टिंग दे दी गई, जबकि जिन्होंने ने घोटाला किया वे आज भी प्राइम पोस्टिंग पर बैठे हुए हैं.

नियाज ने अपने ट्वीट में गुना जिले में 600 मुक्तिधामों को मुक्त कराने का भी उल्लेख किया है. नियाज ने कहा है कि भोपाल में डेढ़ साल से ऊपर होने को आया लेकिन उन्हें अभी तक सरकारी आवास तक आवंटित नहीं किया गया है. नियाज ने इस बात का भी खुलासा किया है कि वे अब अपना छठा उपन्यास लिख रहे हैं जिसमें मुस्लिम अधिकारियों के साथ जिस तरह का दोयम दर्जे का व्यवहार होता है उस पीड़ा को उजागर करेंगे.

नियाज ने सिलसिलेवार 5 ट्वीट किए हैं…

TWEET 1- सरकारी सेवा में 17 साल, 10 जिलों में स्थानांतरण और 19 पारी में, मुझे हमेशा एक जर्मन यहूदी की तरह अछूत महसूस कराया गया. खान उपनाम ने मुझे भूत की तरह मार डाला.
TWEET 2- गुना जिले में मैंने देश के सबसे बड़े ओडीएफ घोटाले और सहरिया जनजातियों के खिलाफ क्रूरता का पर्दाफाश किया. 600 मुक्तिधाम और परिणाम बनाए गए: मुझे लूप लाइन में भेजा गया और दोषी अधिकारियों को काम करने का बेहतर अवसर दिया गया. यह किस तरह का न्याय है?
TWEET 3- यहां तक कि सरकारी तिमाही को एक वर्ष से अधिक समय में आवंटित नहीं किया गया है.
TWEET 4- एक समय था जब मैं अवसाद के कगार पर पहुंच गया था लेकिन साहित्य ने मुझे गिरने से बचा लिया. मैंने अपने साथ हुए भेदभाव को सृजन में बदल दिया है और अब मैं पांच उपन्यासों के साथ अंग्रेजी उपन्यासकार हूं.
TWEET 5- अब मैं अपना छठा उपन्यास ‘ए टेल ऑफ़ नोक्टूरल लवर’ लिख रहा हूं, जिसमें मैं दिखाऊंगा कि कैसे मुस्लिम अधिकारियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है. यह मेरे अपने अनुभवों पर आधारित है.

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