नई दिल्ली। सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वतखोरी से लेकर पशु तस्करों की मदद करने के आरोप हैं. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) इन आरोपों की जांच कर रही है. इन आरोपों को आधार बनाकर पीएम मोदी की अध्यक्षता में हाई पावर कमिटी ने 2:1 से वर्मा को हटाने का फैसला लिया. अब उन पर भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या और फरार हीरा व्यापारी नीरव मोदी की मदद करने का आरोप लग रहा है.
अब आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीवीसी ने उन पर 6 और आरोपों की जांच शुरू कर दी है. इसमें बैंक घोटालों के आरोपी नीरव मोदी, विजय माल्या और एयरसेल के पूर्व प्रमोटर सी शिवशंकरन के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर के आंतरिक ईमेल को लीक करने का आरोप भी शामिल हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक आलोक वर्मा पर लगे नए आरोपों के संबंध में सीवीसी ने सरकार को सूचित किया है. इस संबंध में पिछले साल 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के सामने वर्मा की जांच रिपोर्ट दाखिल करने के बाद एंटी करप्शन टीम की ओर से शिकायतें मिली थीं. वर्मा के खिलाफ उनके ही पूर्व नंबर दो विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए 10 आरोपों की जांच के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्मा से पूछताछ की जानी चाहिए.
बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में 15 अक्टूबर को शिकायत दर्ज की थी. वहीं अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सचिव को 24 अगस्त को शिकायत दी थी. कैबिनेट सचिव ने अस्थाना की शिकायत को सीवीसी को बढ़ा दिया था. शिकायत में वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की बात कही गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक पत्र के माध्यम से सीवीसी ने सीबीआई से सभी आरोपों से संबंधित दस्तावेजों को उपलब्ध कराने को कहा है. नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या देश से फरार चल रहे हैं. हाल ही में लंदन के एक कोर्ट ने विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने का फैसला सुनाया था.
विजय माल्या की मदद
आलोक वर्मा पर आरोप हैं कि उन्होंने 2015 में विजय माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर को कमजोर किया था जिसकी मदद से माल्या को देश छोड़कर भागने में मदद मिली.
पीएनबी स्कैम
रिपोर्ट के मुताबिक आलोक वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने नीरव मोदी के केस में सीबीआई के कुछ आंतरिक ईमेलों के लीक होने पर आरोपी को ढूंढने की बजाय वह मामले को छिपाने की कोशिश करते रहे, जबकि उस वक्त पीएनबी घोटाले की जांच जारी थी.
जानकारी के लिए बता दें जांच एजेंसी ने जून 2018 में तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजीव सिंह (जो नीरव मोदी केस की जांच कर रहे थे) के कमरे को बंद कर दिया था और डेटा प्राप्त करने के लिए आईटी मंत्रालय के कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) को भी बुलाया था. हालांकि, एजेंसी के इस कदम की वजह कभी नहीं बताई गई.
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा ने पद से हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए नई जिम्मेदारी स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने शुक्रवार को नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया है.