नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों लिए शिक्षण संस्थानों में नामांकन और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण वाले बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा से इस बिल को पारित किया जा चुका है। सामान्य वर्ग के लिए रिजर्वेशन की यह व्यवस्था अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को मिलने वाले 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग है।
वहीं 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में भी चैलेंज किया गया है। गैरसरकारी संगठन (NGO) यूथ फॉर इक्वालिटी और कौशल कांत मिश्रा ने अपनी अर्जी में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध किया है और कहा है कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है, क्योंकि केवल सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण को सीमित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती है।