एक कहावत है कि ‘घर में नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने’…! यही हाल है कुछ पाकिस्तान का। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान ने कहा था कि दो साल में वो मुल्क उस मयार पर ले जायेंगे जहां हिंदुस्तान उससे मदद मांगने आयेगा…! इसके अलावा भी इमरान खांन ने कई बड़े-बड़े ऐलान किये। बड़ी-बड़ी कसमें खायीं। बोले पाकिस्तान को सेल्फ डिपेंडेंट बनायेंगे। किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएंगे… वगैरह-वगैरह। लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी की कांटे जैसे ही चुभे तो सबसे पहले पहुंचे अपने नये आका चीन के पास।
चीन के टुकड़ों से भी काम न चला तो एक के बाद कई बार सऊदी शाह के दरबार में हाजिरी लगाई। नंगे पैर चलकर सऊदी शाह के हुजूर में पहुंचे। सऊदी शाह ने भी जब इमदाद-ज़कात को ज्यादा दिनों तक जारी रख पाने में असमर्थता जताई तो दुबई वाले शेख की मिन्नतें कीं। जब देखा कि पाकिस्तानियों का पेट भरने और तन ढकने के लिए किसी और के आगे झोली फैलानी ही पड़ेगी तो आखिर में आईएमएफ के सामने कटोरा लेकर खड़े हो ही गये। बहाना ढूंढा वर्ल्ड कांग्रेस समिट का।
वर्ल्ड कांग्रेस समिट के इतर फटेहाल इमरान खान को आईएमएफ की चीफ क्रिस्टीन लेगार्ड के सामने अपनी झोली फैलानी ही पड़ गयी। इससे पहले इमरान खान दो बार अपने ‘काबिल’ अपसरों को आईएमएफ भेज चुके थे और हर बार आईएमएफ ने उन्हें बैरंग वापस कर दिया था। कहा जा रहा है कि इस बार सऊदी अरब और ईयू की जमानत पर आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देने का मन बनाया है लेकिन शर्त रखी कि पैसे का उपयोग आईएमएफ के कार्यक्रमों में ही किया जायेगा। ध्यान रहे, पाकिस्तान वजूद अभी तक सिर्फ आईएमएफ के बदौलत बचा हुआ है। कंगाल पाकिस्तान को आईएमएफ बारह बार बेल आउट पैकेज दे चुका है। अगर इस बार पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तों को पूरा करता है तो आईएमएफ तेरहवीं बार दीवालिया घोषित होने से बचायेगा।