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एयर स्ट्राइक पर बोले पीएम- एयर स्ट्राइक में कितने मरे कितने नहीं मरे? जिन्हें ये विवाद करना है करते रहें

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच एबीपी न्यूज को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयर स्ट्राइक को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान ने स्वयं ने ट्वीट करके दिया दुनिया को. हमने तो कोई दावा नहीं किया था. हम तो अपना काम करके चुप बैठे थे. इस एयर स्ट्राइक में कितने मरे कितने नहीं मरे. मरे या नहीं मरे? जिन्हें ये विवाद करना है करते रहें. पाकिस्तान की मुसीबत क्या है वो समझिए. अगर सेना का एक्शन गलती से भी नागरिकों पर हो जाता तो पाकिस्तान चिल्ला चिल्लाकर दुनिया भर में हमें बदनाम कर देता.

सवालः लेकिन पाकिस्तान की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए आपने उन्हें सबक सिखाया या हिंदुस्तान की सेना ने उनको सबक सिखाया. एयर स्ट्राइक आपने की. मोदी जी पूरा विपक्ष आपसे सबूत मांग रहा है. मेरा सवाल बहुत बेसिक. बहुत सिंपल है. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास या हमारी सेना के पास. हिंदुस्तान के पास सबूत हैं. क्या कभी वक्त आने पर वो सबूत दिखाए जाएंगे.

जवाबः पहली बात है कि सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान ने स्वयं ने ट्वीट करके दिया दुनिया को. हमने तो कोई दावा नहीं किया था. हम तो अपना काम करके चुप बैठे थे जी. पाकिस्तान ने कहा कि आए हमको मारा. ये किया. फिर उन्हीं के लोगों ने वहां से बयान दिया. इस एयर स्ट्राइक में कितने मरे. कितने नहीं मरे. मरे कि नहीं मरे. ये जिसको विवाद करना है करते रहें. पाकिस्तान की मुसीबत क्या है वो समझिए. अगर हमने सेना पर कुछ किया होता या नागरिकों पर कुछ किया होता तो पाकिस्तान दुनिया भर में चिल्लाकर भारत को बदनाम कर देता. तो हमारी रणनीति ये थी कि हम गैर सैनिक एक्टिविटी करेंगे और जनता का कोई नुकसान ना हो इसका ध्यान रखेंगे. ये पहला हमारा मूलभूत सिद्धांत था और हम टार्गेट आंतकवाद को ही करेंगे. आतंकवादियों को ही करेंगे तो वो सारा हमने रिसर्च किया. कहां करना चाहिए. सब तय किया और एयर फोर्स ने जो करना था अपना बहुत सफलतापूर्वक काम किया. अब इसको स्वीकार करने में पाकिस्तान की दिक्कत ये है कि इसका मतलब उसको स्वीकार करना पड़ेगा कि उस जगह पर आतंकवादी गतिविधि चलती थी. आज जो दुनिया को पाकिस्तान नकारता रहा है कि हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं है वो ढकोसला खुल जाता. इसलिए किसी भी हालत में पाकिस्तान को इसको दबाए रखना है. मैं हैरान हूं कि हिंदुस्तान के लोग क्यों ये पाकिस्तान को पसंद आए ऐसी भाषा बोल रहे हैं. चिंता का विषय वो है जी. चिंता का विषय वो है. अब जैसे कल मीडिया में चल पड़ा कि भई इतनी चौकी तोड़ी. इतने लोग मार दिए. कोई नहीं पूछ रहा है सबूत. कोई नहीं पूछ रहा है सबूत.

सवालः प्राइममिनिस्टर साहब, क्योंकि मुझे पता है, क्योंकि हमने आपके और भी पुराने इंटरव्यू देखे हैं, जो आपने अलग अलग जगह पर देखे हैं. जब उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुई. आपने कहा कि आप शामिल थे, आप देख रहे थे, आपको जानकारियां मिल रही थी. आपने खुद माना है. क्या इस वक्त भी जब बालाकोट हुआ, एयर स्ट्राइक हुई, तब भी आप शामिल थे? आपको पता था? क्या आपके पास जानकारियां आ रहीं थीं?

जवाबः मैं अपने विषय में कुछ बताऊं, वो मुझे शोभा नहीं देता है, लेकिन जब आपने पूछ ही लिया है तो मैं बता देता हूं. अगर मुझे कभी पता चल जाता है कि टूरिस्टों की एक बस खाई में गिर गई, तो आप हैरान हो जाएंगे. मैं रात देर तक फोन करता रहता कि उन लोगों का क्या हुआ, निकाला या नहीं निकाला, अस्पताल पहुंचाया या नहीं. ये मेरे स्वभाव का हिस्सा है. ये मेरा एक कमिटमेंट है कि जो चीजें मेरे ध्यान में आती है तो मैं फिर उसमें शामिल हो जाता हूं. मैं करता हूं. ये तो बहुत बड़ा काम था. हमारे सेना के जवानों की जिंदगी दाव पर लगी थी. मैं राजनीतिक तराजू से चीजों को ना सोचता हूं और ना चलाता हूं. मैं एक तरह से गैर-राजनीतिक व्यक्ति हूं और इसलिए मेरा बहुत स्वाभाविक था तो इसमें मैंने कोई बहुत बड़ी तीसमारी कर दी, ऐसा नहीं है जी. ये मेरे दायित्व का हिस्सा है और मैं कैसे सो सकता हूं जी. जब मुझे पता है कि एक बजे ये होने वाला है, डेढ़ बजे ये होने वाला है, दो बजे ये होने वाला है, ये पता है और मैं खुद उसमें शामिल हूं तो मैं ये तो नहीं चाहता था कि हर पल कोई मुझे रिपोर्ट करे कि क्या हुआ? क्या हुआ? लेकिन मैं इतना जरूर चाहता था कि होने के बाद मैं जाता हूं, आप चिंता मत करिए, होने के बाद मुझे बताइए. खैर उनका भी एक स्वभाव है कि मैं बहुत बारीकी से इंटरेस्ट लेता हूं तो वे मुझे बताते रहते थे. जब सुबह एग्जेक्टली उन्होंने करीब 3.40 पर आखिरी बताया कि सब लोग आ गए हैं वापिस, सब हो गया है. वो कोड की भाषा होती है, कोड की भाषा में बात होती है. उसके बाद मैं सो सकता था लेकिन मैं सोया नहीं. मेरे मन मैं आया कि यार मैं देखूं, नेट पर सर्फिंग करूं कि दुनिया मैं कुछ हलचल शुरू हुई है क्या? दुनिया में इस प्रकार की चीजों में जो रुचि रखने वाले ऐसी जगह पर जाकर. नेट पर मैं देखने लगा, करीब पांच, सवा पांच बजे तक कोई हलचल मुझे नजर नहीं आई. इतने मैं मैंने देखा कि पाकिस्तान का ट्वीट आ गया, तो फिर मैंने सब हमारे लोग जो गए थे उनको जगाया और कहा कि अब स्थिति हमें बदलनी पड़ेगी. तुरंत सबके साथ बैठना पड़ेगा. मैं सात बजे सुबह मीटिंग बुलाई.

सवालः सच मैं ना आप सोते हैं, ना सोने देते हैं?

जवाबः मैं किसी को जगाता नहीं हूं, कोई सो नहीं पाए तो उनकी मजबूरी है.

सवालः मोदी जी इसी से जुड़ा हुआ सवाल है कि आप कह रहे हैं कि अगर किसी का एक्सिडेंट हो जाए यात्रियों से भरी गाड़ी का, तब भी मैं सो नहीं पाता हूं, लेकिन पुलवामा में जब शहीद हुए थे तब आप पर बहुत गंभीर आरोप लगे और ये कहा गया कि आप जिम कोर्बेट में लगातार शूटिंग करवाते रहे. सच्चाई बताइए ना मोदी जी?

जवाबः कोई ऐसे आरोप पर भरोसा नहीं करेगा जी. कोई भरोसा नहीं करेगा जी, आप क्या बात करते हैं. मुझे बहुत दुख होता है जब ऐसी बातें करते हैं. पुलवामा की घटना मुझे पहले से पता थी क्या ? कि इसलिए मैं चला गया. मेरा तो रूटीन कार्यक्रम था उत्तराखंड में और आप मुझे बताइए. कुछ चीजें ऐसे होती हैं जिसका हैंडल करने का तरीका होता है. मैं पटना में था, 2013 अक्टूबर में. लाखों लोगों की भीड़ थी गांधी मैदान में, जनसभा चल रही थी और जनसभा के अंदर बम धमाके हो रहे थे. निर्दोष लोग मारे जा रहे थे. अब उस समय मेरे मुंह से थोड़ी सी भी बात निकल जाती तो कितना बड़ा तूफान खड़ा हो जाता. मैं लगातार इसको दबाता रहा इस खबर को. एक बार तो मैंने ये भी कहा कि कुछ उत्साही लोग पटाखे फोड़ रहे हैं, ऐसा भी कह दिया मैंने जबकि मुझे मालूम था मंच पर आ गया था मेरे पास. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि मोदी जी ने सभा बंद क्यों नहीं की. अगर मैं सभा बंद करता, तो लाखों लोग थे, ना जाने क्या हो जाता. अगर ये भीड़ कहीं और चल पड़ती, किसी को टार्गेट कर देती तो क्या होता? ऐसी परिस्थिति में मानसिक संतुलन रखते हुए चीजों को बचाना होता है. अब ऐसे समय कौन मुझ पर क्या आरोप करेगा और मैं भी उछल पडूं क्या? क्योंकि उस समय मैं मोबाइल फोन पर, मैंने उत्तराखंड की सभा में जाना कैंसिल कर दिया. लेकिन मोबाइल फोन पर मैंने इसका जिक्र बिल्कुल भी नहीं किया. जब तक मैं कंट्रोलिंग स्थिति पर पहुंचता नहीं हूं. मैं तुरंत सड़क के रास्ते से, घंटों तक और उस दिन बहुत बारिश थी. मैं तुरंत बरेली आया और वहां से हवाई जहाज पकड़ने के लिए. रास्ते में एक स्थान आया मैंने वहां पर उतरकर सारी स्थिति का रिव्यू किया सारी स्थिति का, जो भी इंस्ट्रक्शन देने चाहिए थे वो दिए, फिर मैं भागा और फिर मैं आया.

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