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कभी मैकेनिक थे संपूर्ण सिंह कालरा, फिर किया बॉलीवुड को गीतों से गुलजार!

रचनाओं के संसार में कल्पना के रंग भर देने वाले गुलजार साहब की कविताएं, गजलें सिर्फ दिमाग को नहीं बल्कि दिलों को छू जाती हैं. दिलों के अहसासों में मखमली शब्दों के रंग भरने वाले गुलजार आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें…

18 अगस्त 1934 को पाकिस्तान के हिस्सेवाले पंजाब स्थित झेलम जिले के एक छोटे से कस्बे दीना में जन्म लेने वाले बच्चे के बारे में किसी न सोचा होगा कि यह देश का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला शायर बनेगा.

जन्मदिन विशेष : कविताओं और गजलों से रूह को छूने वाले गुलजार...

मैकेनिक भी बने लेकिन लिखते रहे
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे ने गुलजार के  परिवार पर भी कम परेशानी नहीं बरसाई. उनका परिवार पुश्तैनी घर छोड़कर अमृतसर में बस गया. जिसके कुछ साल बाद गुलजार मुंबई चले आये. सपनों के पीछे भागने और पेट की मांग पूरी करने के लिए उन्होंने वर्ली में एक गैराज में कार मेकैनिक का काम किया. लेकिन इस दौरान भी फुरसत के पलों में उन्होंने कविताएं लिखना जारी रखा.

सत्यजीत रे को याद कर बोले गुलजार, 'उनके साथ काम करने की हमेशा से ख्वाहिश रही'

इसी समय में उनकी किस्मत ने उन्हें एक मौका दिया. वह फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों के संपर्क में आये जिनमें निर्देशक बिमल राय उनके पारखी साबित हुए. जिसके बाद गुलजार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बाद में उन्होंने निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी और हेमन्त कुमार का सहायक बनकर भी काम किया.

गुलजार को बीस बार फिल्मफेयर और पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया. 2010 में उन्हें ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गाने ‘जय हो’ के लिए ग्रैमी अवार्ड से नवाजा गया.

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