भारतीय रेसलिंग यानि भारतीय कुश्ती की दुनिया में बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) एक खास नाम है. 65 किग्रा में दुनिया के नंबर-1 पहलवान बजरंग पूनिया को इस साल राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से गुरुवार को सम्मानित किया जा रहा है. यह अवार्ड खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सम्मान है. यह अवार्ड पूनिया को कुश्ती के क्षेत्र में लगातार अच्छा करने के लिए दिया जा रहा है. पूनिया ने हाल ही में तबिलिसी ग्रांप्री में गोल्ड मेडल जीता था. पूनिया ने उससे पहले चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप भी जीती थी.
माता पिता और बड़े भाई के त्याग ने बनाया सफल रेसलर
बजरंग पूनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के कुदान गांव में हुआ था. 24 फरवरी 1994 को हुआ था. उनके पिता का नाम बलवान सिंह पूनिया और माता का नाम ओमप्रिया पूनिया है. उनके बड़े भाई हरेंद्र ने बजरंग को रेसलर बनाने में बहुत साथ दिया और बजरंग अपने घर से बाहर अपने सेहत का ध्यान रखें इसके लिए अपनी विदेशी नौकरी तक छोड़ दी थी. एक समय बजरंग का परिवार कठिन आर्थिक स्थितियों से गुजर रहा था. उनका गुजारा केवल दूध और रोटी से ही हो पा रहा था. लेकिन बाद में हालात सुधरे लेकिन बड़े भाई ने हमेशा ही बजरंग के खान-पान का खुद ध्यान रखा.
गुरू योगेश्वर के चहेते शिष्य हैं बजरंग
पिता के प्रोत्साहन पर बजरंग ने केवल सात साल की उम्र में ही कुश्ती शुरु कर दी थी. बजरंग फ्री स्टाइल रेसलर हैं. 25 साल के बजरंग भारतीय रेलवे में टीटीई के तौर पर काम करते हैं. बजरंग भारत के पूर्व रेसलर और ओलंपिक मेडलिस्ट योगेश्वर दत के शिष्य हैं. बजरंग योगेश्वर को बहुत मानते हैं. योगेश्वर को भी अपने शिष्य पर बहुत भरोसा और वे हर संभव कोशिश में हैं कि बजरंग अगले साल ओलंपिक में मेडल ला सकें और देश का सपना पूरा करें. लोगों का मानना है बजरंग में उन्हें योगेश्वर की झलक दिखती है.
2013 से शुरू हुआ मेडल हासिल करने का सफर
बजरंग साल 2013 में तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में 60 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. एक साल बाद उन्होंने ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 61 किलो वर्ग की श्रेणी में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद 2015 में बजरंग को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. उसी साल उन्होंने डेव शुल्ट्ज मेमोरियल टूर्नामेंट भी जीता. इसके अलावा उन्हें प्रो रेसलिंग लीग में बेंगलुरू फ्रेंचाइजी ने 29.5 लाख में खरीदा था.