प्रदीपिका सारस्वत घर हो या कार्यक्षेत्र, भारत में लैंगिक असमानता की जड़ें बहुत गहरी हैं. पर चुनाव एक ऐसा क्षेत्र है जहां महिलाओं ने अपनी मौजूदगी का न सिर्फ़ अहसास कराया है बल्कि बदलाव लाने में एक बड़ी भूमिका भी निभाई है. भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी पर लिखे ...
Read More »विशेष
क्या लालकृष्ण आडवाणी के प्रधानमंत्री बनने की अब भी कोई संभावना बची है?
हिमांशु शेखर भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को इस बार टिकट नहीं मिला. लंबे समय से उनकी सीट रहे गांधीनगर से अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उम्मीदवार हैं. कहा जा रहा है कि लालकृष्ण आडवाणी की सियासी पारी पर अब विराम लग गया है. जिस दिन ...
Read More »बलराज साहनी शायद अकेले अभिनेता होंगे जो मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाने पर जेल भेजे गए थे
दीपक महान यूं तो हिंदी फिल्मों में एक से एक बेहतरीन अदाकार हुए हैं, लेकिन ऐसे कम ही रहे जिन्होंने परदे पर वो किरदार जिंदा किए जिनसे हम रोजाना दो-चार होते हैं. इन अभिनेताओं का नाम सोचने पर यकीनन बलराज साहनी ऐसा नाम होंगे जिनके बिना हम आगे नहीं बढ़ ...
Read More »इंदिरा गांधी और हेमा मालिनी के गेहूं का गठ्ठर उठाने में क्या फर्क है?
दुष्यंत कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद और हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी इन दिनों अपने संसदीय क्षेत्र मथुरा में अपने चुनाव प्रचार को लेकर चर्चा में हैं. बीते 31 मार्च को प्रचार अभियान शुरू करते हुए उन्होंने एक के बाद एक कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर ...
Read More »1989 का वह आम चुनाव कई मायनों में इस बार के चुनाव जैसा ही था
अनुराग भारद्वाज आम चुनाव में अब ज़्यादा समय नहीं बचा है. आश्चर्यजनक रूप से इसमें मुद्दे और हालात वही दिख रहे हैं जो 30 साल पहले हुए चुनाव में थे. 1989 में हुआ आम चुनाव भारतीय राजनीति के इतिहास ख़ास मुक़ाम रखता है. यहां से राजनीति हमेशा के लिए एक ...
Read More »क्यों कश्मीर में विकास की सबसे अहम परियोजना वहां के लोगों के लिए बुरा सपना बन गई है
सुहैल ए शाह कश्मीर घाटी में लगभग पिछले एक दशक से लोग राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाइवे)- 44 पर चल रहे काम के खत्म होने का इंतज़ार कर रहे थे. यह वाजिब भी था. इस परियोजना का मकसद था लोगों के लिए सफर को बेहतर बनाना. कश्मीर में पिछले तीन दशक ...
Read More »भाजपा ने बीते घोषणा पत्र के केवल 34 फीसद वादे ही पूरे किये
भाजपा ने 8वीं बार किया राम मंदिर, धारा 37० और यूनिफार्म सिविल कोड का वादा जरा जानिये, भाजपा का बीता संकल्प पत्र कितना खरा भाजपा ने बीते चुनाव में 346 वादे किये थ्ो। अब जब सरकार चुनाव में आ गयी है तो उसके पुराने वादों को कसौटी पर कसने की ...
Read More »भारत के लिए नासूर बन चुका है घुसपैठ का मुद्दा, इसके कई बिंदुओं को समेटे है ये खास रिपोर्ट
नई दिल्ली। पड़ौसी देशों से घुसपैठ नासूर बनने की ओर है। बाहरी नागरिकों के भारत में अवैध रूप से बसते जाने का संकेत दे रहे आंकड़े और अनुमान चौंकाते हैं। बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से हो रही घुसपैठ भारतीय नागरिकों के हितों और हक को हड़पने का सबब बन ...
Read More »क्यों मुलायम ने अखिलेश यादव के लिए न उगल पाने और न ही निगल पाने वाली स्थिति पैदा कर दी है
गोविंद पंत राजू समाजवादी पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों पशोपेश में हैं. इस पशोपेश की वजह हैं उनके पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव. जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने यादव परिवार ...
Read More »तो क्या विपक्ष नरेंद्र मोदी को वाक ओवर दे चुका है
दयानंद पांडेय अब तो बनारस से भाजपा ने नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी घोषित कर दी है। समूचे विपक्ष को मिल कर कोई एक बड़ा नाम संयुक्त रूप से मोदी के ख़िलाफ़ उम्मीदवार उतारना चाहिए। भले वह हार जाए , ज़मानत ज़ब्त हो जाए पर समूचे विपक्ष की तरफ से चुनौती ...
Read More »बढ़ियां योजनाएं थीं तो उन्हें बताइये,अनर्गल प्रचार क्यों
राजेश श्रीवास्तव कॉलम पढ़ने के पहले आपको बीते पांच साल पहले जाना होगा। जब मनमोहन सरकार के अंतिम चरण में नरेंद्र मोदी व भाजपा के दिग्गजों ने कसाब, धर्म, श्मशान, कब्रिस्तान आदि की खूब चर्चा अपने भाषणों में की थी और जनता ने उनका यह समझकर बाहें फैलाकर स्वागत किया ...
Read More »आखिर लौहपुरुष इतने चुप-चुप क्यों हैं?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के टिकट कटने को लेकर भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधा है. बुधवार को उन्होंने कहा कि यह देखना वास्तव में दुखद है कि पार्टी संस्थापकों से किस तरह का बर्ताव किया जा रहा ...
Read More »BLOG: 48 साल पुरानी काठ की हांडी फिर चढ़ा रही है कांग्रेस
भूख सबसे पहले दिमाग खाती है उसके बाद आंखें फिर जिस्म में बाकी बची चीजों को (नरेश सक्सेना) भूख क्या है? इसके कई जवाब हैं सबसे ऊपर व्यवस्था का जवाब है भूख को मिटाने के लिए हर सरकार के पास हैं वादे वादे स्वादिष्ट होते हैं हिंदू-मुस्लिम सब ...
Read More »विपक्ष क्या होता है, भारतीय लोकतंत्र को पहली बार यह बताने वाले राम मनोहर लोहिया ही थे
लंबी लड़ाई के बाद 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो एक तरफ उम्मीदें थीं और दूसरी तरफ कई आशंकाएं. पश्चिमी दुनिया के एक बड़े हिस्से को लगता था कि भारत लोकतंत्र की राह पर ज्यादा दूर तक नहीं चल पाएगा. इसकी एक वजह तो उसकी असाधारण विविधता थी ...
Read More »क्या नरेंद्र मोदी के न चाहने के बावजूद अमित शाह को गांधीनगर से टिकट मिला?
साल 1991 की बात है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर से चुनाव लड़ने आए थे. नामांकन के वक्त नरेंद्र मोदी आडवाणी के साथ बैठे थे. पीछे एक कोने में अमित शाह खड़े थे. 28 साल बाद गांधीनगर की सियासत बिल्कुल बदल गई है. भाजपा के सर्वोच्च नेता माने ...
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