नई दिल्ली। दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देश चीन को अलग-थलग करने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहते. अब चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़ा होने वाले देशों में एक और नाम जुड़ गया है, वो है जापान. ड्रैगन के खिलाफ उठती आवाजों के बीच जापान शी चिनपिंग के आधिकारिक दौरे को रोकने का फैसला करने जा रहा है. दरअसल, कोरोना वायरस कोविड 19 महामारी की वजह से जापान ने चीन के राष्ट्रपति के दौरे को अप्रैल में टाल दिया था और अब वो दौरा इस साल संभव होता नहीं दिख रहा है. कोविड 19 महामारी की शुरुआत चीन से हुई और इसके बाद एक एक करके दुनिया के तमाम देशों और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता चला गया. अब हाल के बदलते अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के बीच चीन और जापान के रिश्तों में भी ग्रहण लग गया है.
दरअसल, हांगकांग पर नेशनल सिक्यॉरिटी कानून लागू किए जाने की वजह से जापान के प्रधानमंत्री शिंजों आबे की पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने सरकार से शी चिनपिंग के जापान दौरे पर दोबारा विचार करने की अपील की है. हांगकांग पर नेशनल सिक्यॉरिटी कानून लागू किए जाने के कारण जापान को इस बात का भी डर है कि इस नए कानून की वजह से हांगकांग में जापान के लोगों और कंपनियों के अधिकारों में कटौती की जाएगी.
हांगकांग में जापान की करीब 1400 कंपनियों की मौजूदगी है. यह जापान के कृषि सामानों को सबसे बड़ा आयातक है. जापानी बिजनेस कम्युनिटी को चिंता है कि चाइनीज नेशनल सिक्यॉरिटी कानून हांगकांग के आधार को ही हिलाकर रख देगा.
चीन और जापान दोनों देशों के बीच बढ़ती तल्खी के बीच जापान के विदेश मंत्री तोशीमित्सु मोतेगी ने बयान जारी कर कहा है कि हांगकांग में रह रहे जापानी लोगों और कंपनियों के अधिकारियों का सम्मान किया जाए, लेकिन जापान की इस मांग पर चीन का रुख बदलता नहीं दिख रहा है. ऐसे में आने वाले समय में दोनों देशों के बीच तनाव और भी ज्यादा बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.