लद्दाख। पेट्रोलिंग के दौरान आए दिन चीनी सेना के साथ झड़प को देखते हुए एक तरफ जहां इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवानों की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तैनाती बढ़ाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ LAC पर चीन की चालाकी को समझने के लिए भारत की सरहद पर तैनात होने वाले ITBP जवानों को चीन की भाषा मैंडरिन सिखाई जा रही है.
गलवान सहित दूसरी जगहों पर चीन से गतिरोध के बाद भारत-चीन सीमा पर तैनात ITBP अपने यहां चल रहे चाइनीज लैंग्वेज कोर्स को और आधुनिक बनाएगी. इसका मकसद है कि सीमा पार तैनात चीनी सैनिकों से भारतीय सुरक्षाबल बेहतर तरीके से संवाद कर सकें. इस योजना में कोर्स की संख्या बढ़ाना और सारे जवानों के लिए उनकी जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग प्लान तैयार करना शामिल है.
शुरुआती दौर में आईटीबीपी ने अपने मसूरी स्थित एकेडमी में इस कोर्स को प्रारंभ किया गया, जिसमें कई बैच पढ़ाने की तैयारी की जा रही है. कोरोना की वजह से बीच में इस कोर्स को रोका गया था दोबारा से अब इस कोर्स की शुरुआत मसूरी की एकेडमी में करने का प्लान किया जा रहा है. भारत-चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी के करीब 90 हजार जवानों को बेसिक चाइनीज लैंग्वेज की ट्रेनिंग देने का प्लान है. इससे पहले भी जवानों के लिए चाइनीज लैंग्वेज का कार्यक्रम लागू था लेकिन अब और ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से हर एक जवान को इस पाठ्यक्रम से जुड़े कोर्स को पूरा करना होगा. इस पाठ्यक्रम में बेसिक ट्रेनिंग कोर्स और रिफ्रेशर कोर्स शामिल है.
सेना के जवानों को चीनी भाषा सिखाने की जिम्मेदारी आईटीबीपी के चाइनीज लैंग्वेज डिपार्टमेंट की है जहां इससे जुड़े पाठ्यक्रम को नया रूप देने की योजना पर काम चल रहा है. ज़ी न्यूज़ को आइटीबीपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कमांडो ट्रेनिंग के दौरान ही बेसिक ट्रेनिंग कोर्स में सीखने वाले आइटीबीपी कर्मियों की तादात चाइनीज भाषा सीखने के लिए बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही समय-समय पर 3 से 4 महीने के जो रिफ्रेशर कोर्स होते हैं अब उनकी संख्या भी बढ़ाई जाएगी. सूत्रों के मुताबिक पाठ्यक्रम में ऑडियो और वीडियो ट्रेनिंग पर खास जोर दिया जाएगा.
चीन सीमा पर तैनात होने वाले ITBP के जवानों को बड़े स्तर पर चीनी भाषा सीखने का अभियान ITBP की तरफ से किया जाएगा. अब आपको ITBP के जवान ‘नी हाओ’ यानी नमस्कार और ‘हुई कु’ यानी पीछे हट जाओ जैसी चीनी भाषा को बोलते नजर आएंगे.