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यूपी के कई जिलों में फैला डेंगी-वायरल का प्रकोप, 100 से ज्यादा मौतें, फिरोजाबाद में ही 75 ने तोड़ा दम

फिरोजाबाद/लखनऊ। शायर बशीर बद्र ने यह शेर, ”हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में, अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता” एक बेबस मां को ध्यान में रखकर ही लिखा होगा. फिरोजाबाद में इन दिनों माहौल कुछ ऐसा ही है. बुखार से तड़पते बच्चे मां-बाप के हाथों में ही दम तोड़ रहे हैं. जिले के अस्पतालों में चीत्कार सुनाई पड़ रहे हैं, घरों में मातम पसरा है. गलियां सुनसान हैं. डेंगी-वायरल (Dengue-Viral) के प्रकोप ने सुहागनगरी को अपनी चपेट में ले लिया है.

उत्तर प्रदेश में अब तक 100 से ज्यादा मौतें
चाहे शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण सभी जगह एक ही स्थिति है. सरकारी विभाग एक-दूसरे पर इस महामारी का ठीकरा फोड़ने में जुटे हैं. मां-बाप की आंखों के सामने उनके कलेजे के टुकड़ों की सांसें थम रही हैं. फिरोजाबाद में शासन-प्रशासन की पूरी ताकत झोंकने के बाद भी वायरल संक्रमण और डेंगी कमजोर होने का नाम नहीं ले रहा है. फिरोजाबाद में मरने वालों का आंकड़ा 75 तक पहुंच गया है, जिसकी पुष्टि खुद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कर रहा है. पूरे यूपी में यह आंकड़ा 100 के करीब पहुंच गया है. डेंगी-वायरल बच्चों को अपना शिकार बना रहा है.

फिरोजाबाद यूपी का सर्वाधिक प्रभावित जिला
इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं मिल पा रही है. हॉस्पिटल में 100 बेड की क्षमता है और 400 मरीज भर्ती हैं. बहुत बड़ा आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 10 दिनों के अंदर डेंगी-वायरल पर काबू पा लिया जाएगा. मथुरा, मैनपुरी, कासगंज में भी डेंगी और वायरल ने अपने पांव पसार दिए हैं. वहीं गोंडा में प्रतिदिन 3000 से ज्यादा मरीज संदिग्ध बुखार से पीड़ित होकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. कानपुर में वायरल बुखार के कारण 7 दिन में 10 लोगों की मौत हो गई. गुरुवार को चार मासूमों समेत 14 लोगों की मौत हो गई. इनमें फिरोजाबाद में 11, मैनपुरी 2 और मथुरा में 1 मरीज शामिल हैं.

जिन्हें डेंगी हो चुका है बरतें ज्यादा सावधानी
जिन लोगों को एक बार डेंगी हो चुका है उन पर दूसरे वैरिएंट की मार ज्यादा पड़ती है. ऐसे लोगों के डेंगू होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल होता है. ऐसे मरीजों के उपचार में ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है. उनके प्लेटलेट्स सहित अन्य पैरामीटर की निगरानी करते हुए दवाएं दी जाती हैं. पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें इसके दूसरे वैरिएंट का हमला था. मादा एडीज एजिप्टी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है.

भारत में डेंगी के चार प्रमुख वैरिएंट मिलते हैं
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में डेंगी के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं. डेंगी वन, डेंगी टू, डेंगी थ्री और डेंगी फोर. डेंगी वन में जहां बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरते हैं, वहीं डेंगी टू में रक्तस्राव, बुखार और शॉक लग सकता है. डेंगी थ्री में शॉक बगैर बुखार और डेंगी फोर में शॉक और बगैर शॉक के बुखार हो सकता है. इंफेक्सन जेनेटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित अनुवांशिक अध्ययन में भी यह आशंका जताई गई है कि डेंगी के वैरिएंट में हो रहे बदलाव की वजह से यह गंभीर बीमारी हो गई है. इस साल भी डेंगी के नए वैरिएंट की आशंका जताई जा रही है.

पसीने की महक से आकर्षिक होते हैं मच्छर
विभिन्न शोध रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मच्छरों को कार्बन डाई ऑक्साइड, लैक्टिक एसिड की अधिकता वाले लोग अधिक पसंद हैं. जिन लोगों के पसीने में कार्बन डाइआक्साइड और लैक्टिव एसिड की अधिकता होती है, ऐसे लोगों की महक से ये मच्छर उनके नजदीक ज्यादा आते हैं. केजीएमयू के संक्रामक रोग यूनिट प्रभारी डाॅ. डी हिमांशु कहते हैं कि जिन लोगों को एक बार डेंगी हो चुका है, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. एक बार डेंगी होने पर 2 से 3 साल तक उनमें एंटीबॉडी रहती है. लेकिन इस बीच डेंगी के दूसरे वैरिएंट ने हमला किया तो मरीज की जान का जोखिम बढ़ जाता है.

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