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राहुल-सोनिया पर 50 लाख लगाकर 2000 करोड़ बनाने का केस, समझिए क्या है नेशनल हेराल्ड का पूरा किस्सा

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए सोमवार को ED के सामने पेश हो रहे हैं। ED ने इस मामले में पूछताछ के लिए इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद राहुल गांधी को समन जारी किया था। ED ने सोनिया को 8 जून को और राहुल को 13 जून को पेश होने को कहा था, लेकिन सोनिया गांधी के समन जारी होने के बाद कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से ED ने उनसे पूछताछ की तारीख 23 जून तक के लिए बढ़ा दी है।

ED का ये केस ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर आधारित है, जिसमें उसने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नेशनल हेराल्ड मामले की जांच और सोनिया-राहुल के टैक्स असेसमेंट का आदेश दिया था।

कांग्रेस ने ED का समन जारी होने के बाद इसे बदले की राजनीति करार दिया और कहा कि उनके नेता सरकार के दबाव के आगे झुकेंगे नहीं। राहुल और सोनिया को पूछताछ के लिए समन जारी होने के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने देशभर के ED कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

ED ने कुछ हफ्तों पहले इसी केस में कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ की थी।

ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों जारी हुआ राहुल और सोनिया को ED का समन? आखिर क्या है नेशनल हेराल्ड केस? राहुल-सोनिया पर ED ने लगाए हैं कौन से आरोप?

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।

आरोप के मुताबिक, इन कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडिया लिमिटेड, यानी YIL नामक ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड, यानी AJL का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।

स्वामी ने 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को केवल 50 लाख रुपये में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी।

इस मामले में जून 2014 ने कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। अब ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी किया है।

‌BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में नेशनल हेराल्ड को अवैध तरीके से हड़पने का आरोप लगाते हुए सोनिया-राहुल समेत कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ केस फाइल किया था।
‌BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में नेशनल हेराल्ड को अवैध तरीके से हड़पने का आरोप लगाते हुए सोनिया-राहुल समेत कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ केस फाइल किया था।

नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड अखबार

जिस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मामले में सोनिया और राहुल को ED ने समन भेजा है, उसे 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर शुरू किया था। इस अखबार का प्रकाशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) द्वारा किया जाता था। आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया।

AJL इस अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं में करता था। अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’ के अलावा हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज।’ धीरे-धीरे अखबार घाटे में चला गया और कांग्रेस से मिले 90 करोड़ रुपए के कर्ज के बावजूद 2008 में बंद हो गया।

2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक नया ऑर्गेनाइजेशन बना, जिसने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL का अधिग्रहण कर लिया। YIL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल थे। YIL में सोनिया और राहुल की हिस्सेदारी 76% थी और बाकी 24% हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। मोतीलाल वोरा का 2020 और ऑस्कर फर्नांडीज का 2021 में निधन हो चुका है। इसके बाद कांग्रेस ने AJL के 90 करोड़ रुपए लोन को YIL को ट्रांसफर कर दिया।

कांग्रेस का लोन चुकाने के बदले में AJL ने यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए। इन 9 करोड़ शेयरों के साथ यंग इंडियन को AJL के 99% शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने AJL का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी सौदे पर सवाल उठाते हुए केस फाइल किया था।

सोनिया और राहुल पर हैं कौन से आरोप

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL से 90 करोड़ रुपए लोन की रिकवरी का अधिकार यंग इंडियन लिमिटेड को ट्रांसफर किया और यंग इंडियन लिमिटेड ने AJL की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति को कांग्रेस पार्टी को महज 50 लाख रुपए का भुगतान करते हुए अधिग्रहित कर ली।

स्वामी का आरोप है कि नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली AJL कंपनी पर कांग्रेस के बकाया 90 करोड़ के लोन को चुकाने के लिए राहुल-सोनिया की यंग इंडियन लिमिटेड ने 50 लाख रुपए का भुगतान किया, इसके बाद कांग्रेस ने AJL के बाकी बचे 89.50 करोड़ रुपए का लोन माफ कर दिया।

स्वामी का आरोप है कि YIL को अपना लोन वसूलने के लिए नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार मिल गया, जिसमें दिल्ली की प्राइम लोकेशन पर स्थित उसकी बिल्डिंग भी शामिल है, जिसकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपए है।

आरोप है कि 2010 में 5 लाख रुपये में बनी यंग इंडियन लिमिटेड की संपत्ति कुछ ही सालों में बढ़कर 800 करोड़ रुपए हो गई है।

उधर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड में राहुल गांधी को शेयरों से उन्हें 154 करोड़ रुपए की कमाई हुई। इनकम टैक्स डिमार्टमेंट पहले ही 2011-12 के लिए यंग इंडियन लिमिटेड को 249.15 करोड़ रुपए टैक्स भुगतान का नोटिस जारी कर चुका है।

नेशनल हेराल्ड के मालिकाना हक वाली कंपनी AJL के 90 करोड़ के लोन को यंग इंडियन लिमिटेड को ट्रांसफर किया गया था, इस कंपनी में सोनिया-राहुल की 76% हिस्सेदारी है।
नेशनल हेराल्ड के मालिकाना हक वाली कंपनी AJL के 90 करोड़ के लोन को यंग इंडियन लिमिटेड को ट्रांसफर किया गया था, इस कंपनी में सोनिया-राहुल की 76% हिस्सेदारी है।

इन आरोपों को कैसे खारिज करती है कांग्रेस

कांग्रेस का कहना है कि YIL को मुनाफा कमाने के बजाय चैरिटी के उद्देश्य से बनाया गया था। कांग्रेस का ये भी कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा किया गया ट्रांजैक्शन फाइनेंशियल नहीं, बल्कि कॉमर्शियल था। कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि जब प्रॉपर्टी या कैश का कोई ट्रांसफर ही नहीं हुआ, तो मनी लॉन्ड्रिंग का कैसे बन सकता है।

सिंघवी का कहना है कि AJL जब घाटे में आ गया तो उसे बचाने के लिए कांग्रेस ने 90 करोड़ की आर्थिक सहायता दी। इससे AJL पर लोन हो गया। उसने इस लोन को इक्विटी में बदला और 90 करोड़ के लोन को नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन यंग इंडियन नॉन-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है और इसके शेयरहोल्डर्स और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया जा सकता है। सिंघवी का दावा है कि इसका मतलब है कि आप इस कंपनी से एक रुपया नहीं ले सकते।

सिंघवी का ये भी दावा है कि अब भी AJL के पास ही पहले की तरह की नेशनल हेराल्ड की सभी प्रॉपर्टी और प्रिंटिंग और पब्लिशर बिजनेस पर अधिकार है। केवल एकमात्र बदलाव ये है कि AJL के शेयर यंग इंडियन के पास हैं, लेकिन यंग इंडियन इस पैसे का किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकती है। वह न तो लाभांश दे सकती है और न ही प्रॉफिट कमा सकती है।

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