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‘न तेल मिलेगा और न गैस..’, रूस को अलग-थलग करने वाले पश्चिमी देशों को पुतिन ने धमकी क्यों दी? जानें

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बुधवार को यूरोप के देशों को तेल और गैस की सप्लाई बंद करने की चेतावनी दी है. पुतिन ने कहा कि जिन देशों ने प्राइस कैप लगाया है, उनकी ऊर्जा आपूर्ति (Energy Supplies) में कटौती की जाएगी. रूस सऊदी अरब के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक और दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक देश है. ऐसे में पुतिन का ये फैसला वैश्विक ऊर्जा बाजार को सीधे तौर पर प्रभावित करेगी. इससे विश्व की अर्थव्यवस्था (World Economy) को ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित पूर्वी आर्थिक मंच (Eastern Economic Forum) में पुतिन ने ये बातें कही. उन्होंने कहा, ‘कुछ पश्चिमी देश तेल और गैस की कीमतों को सीमित करने पर विचार कर रहे हैं. मैं बता दूं कि ये बिल्कुल मूर्खतापूर्ण निर्णय होगा.’ उन्होंने कहा, “अगर यह हमारे हितों के विपरीत है, तो हम कुछ भी सप्लाई नहीं करेंगे. आर्थिक हितों के साथ समझौते करके किसी को कोई गैस, कोई तेल, कोई कोयला या ईंधन नहीं मिलेगा.”

दरअसल, जी7 औद्योगिक शक्तियों ने रूसी तेल आयात पर मूल्य कैप को लागू करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने का फैसला किया है. यूक्रेन में मॉस्को के युद्ध के लिए फंड के एक मुख्य स्रोत में कटौती करने के मकसद से जी7 के देशों ने ये फैसला लिया. पुतिन ने कहा, ‘रूस अपने दायित्वों का सम्मान करेगा. उम्मीद है कि अन्य देश भी ऐसा ही करेंगे. इसलिए उन्हें अपने होश में रहना चाहिए.’

सर्दियों से पहले यूरोप में बढ़ती ऊर्जा की कीमतों की ओर इशारा करते हुए पुतिन ने कहा, ‘रूस मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट के बाहर कुछ भी सप्लाई नहीं करेगा. आर्थिक दृष्टिकोण से यह सही है. सामाजिक दृष्टिकोण से यह खतरनाक है. संविदात्मक दायित्वों और नियमों का पालन करना बेहतर होगा.’

जेलेंस्की ने किया G7 के प्राइस कैप का समर्थन 
इस बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी तेल पर G7 के प्राइस कैप का समर्थन किया है. साथ ही उन्होंने गैस की कीमत पर भी प्राइस कैप लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि G7 के फैसले से मास्को की आमदनी पर असर होगा. उन्होंने कहा कि रूस ने तेल के बढ़ते आर्टिफिशियल दाम से ब्लैकमेल करने की कोशिश की है. बता दें कि हाल ही में रूस ने यूरोप में गैस सप्लाई पर रोक लगा दी थी. गैस सप्लाई रुकने से यूरोप में गैस और महंगी होगी. अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा.

यूक्रेन पर हमले से नुकसान नहीं, फायदा हुआ-पुतिन
यूक्रेन पर रूस के हमले को 6 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. वहीं, पश्चिमी देशों रूस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए हैं. बावजूद इसके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि इस युद्ध से उन्हें कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि इससे रूस का दुनिया पर दबदबा बढ़ेगा. पुतिन का कहना है कि यूक्रेन के खिलाफ यह ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ सोवियत संघ के विघटने के बाद एक टर्निंग पॉइंट है.

24 फरवरी से चल रही है जंग
रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से जंग चल रही है. रूस इसे स्पेशल ऑपरेशन का नाम देता है. यूक्रेन की सेना लगातार हर मोर्चे पर रूस का सामना कर रही है. इस युद्ध में दोनों तरफ के काफी सैनिक मारे गए हैं. बावजूद इसके यूक्रेन ने अब तक घुटने नहीं टेके हैं. वहीं NATO ने इस युद्ध के खिलाफ बड़ी गोलबंदी कर ली है. पूर्वी यूरोप में NATO ने अपनी स्थिति मजबूत की है. अब स्वीडन और फिनलैंड भी इसके सदस्य बन गए हैं. रूस का यूक्रेन पर हमला करने के एक यह भी मकसद था कि नाटो को बढ़ने से रोका जाए.

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