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जिसका डर था… वही हुआ, टीम इंडिया एशिया कप से हो गई बाहर

जिसका डर था… वही हुआ, टीम इंडिया एशिया कप से बाहर हो गई. टूर्नामेंट के शुरुआती दोनों मैच जीतने के बाद सुपर-4 में पहुंची भारतीय टीम का बोरिया-बिस्तर बंध गया. पाकिस्तान के खिलाफ मैच गंवाकर श्रीलंका के खिलाफ दो-दो हाथ करने उतरी रोहित ब्रिगेड टिक नहीं पाई. इसके बाद अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की जीत ने भारतीय टीम को खिताबी होड़ से पूरी तरह बाहर कर दिया. दूसरी टीमों के नतीजों पर नजरें गड़ाए बैठे भारतीय प्रशंसकों को सिर्फ और सिर्फ निराशा हाथ लगी. टीम इंडिया का 8वीं बार ट्रॉफी पर कब्जा करने का सपना चकनाचूर हो गया.

दुबई में एशिया कप के दौरान भारतीय टीम का हाल कुछ ऐसा रहा- टीम इंडिया एशिया कप से बाहर हो रही थी… ‘द्रविड़ सर’ प्रयोग पर प्रयोग किए जा रहे थे. एशिया कप ‘प्रयोग-प्रयोग’ में निकल गया. अब एक हारी हुई टीम के कप्तान रोहित शर्मा कह रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम लगभग तय हो चुकी है. यानी इसी टीम के साथ भारत वर्ल्ड कप की लड़ाई लड़ेगा. रोहित तो इतना तक दावा कर चुके हैं कि टीम में कुछ भी गलत नहीं है और वह जिस तरह से खेल रही है वह भी गलत नहीं है.

चलिए अब सीधे एशिया कप पर आते हैं और समझते हैं कि कैसे ऐसे संकेत मिल चुके थे कि यह टूर्नामेंट टीम इंडिया के लिए अच्छा नहीं गुजरने वाला. मैच दर मैच प्रयोग और टीम की रणनीति पर सवाल खड़े हुए, तो सुपर-4 में पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले रवींद्र जडेजा चोटिल होकर पूरे टूर्नामेंट से ही बाहर हो गए. लगातार दो अर्धशतकीय पारियां खेलकर खुद को फॉर्म में लौटा हुआ समझने वाले विराट कोहली ने अपना ‘दर्द’ बयां तो कर दिया, पर यह नहीं सोचा कि बीच टूर्नामेंट ऐसी बातें करने का यह उचित समय नहीं है. टीम के अन्य खिलाड़ियों पर इसका क्या असर पड़ेगा. ड्रेसिंग रूम के माहौल का क्या होगा, टीम की एकजुटता कहीं टूट तो नहीं जाएगी.

कोहली अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए

दरअसल, कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘एक बात मैं आपको बताना चाहूंगा कि जब मैंने टेस्ट कप्तानी छोड़ी तो सिर्फ एक व्यक्ति का मुझे मैसेज आया और वह थे महेंद्र सिंह धोनी. कई लोगों के पास मेरे नंबर हैं और कई लोग टीवी पर राय देते हैं. लेकिन जिन लोगों के पास मेरा नंबर है उनमें से किसी और ने मुझे मैसेज नहीं किया.’ टूर्नामेंट के दौरान कोहली से ऐसी प्रतिक्रिया की किसी को उम्मीद नहीं रही होगी. इससे न टीम, बल्कि उनके प्रदर्शन पर भी फर्क पड़ा. श्रीलंका के खिलाफ कोहली बगैर खाता खोले पवेलियन चल दिए थे. साथ ही फील्डिंग के दौरान भी कुछ मौकों पर वह गेंद को सही से पकड़ नहीं पाए.

कुछ अटपटे प्रयोग… 

भारतीय टीम इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान न सिर्फ अपने खराब प्रदर्शन से आलोचकों के निशाने पर रही, बल्कि लगातार किए गए प्रयोग टीम इंडिया को ट्रॉफी से दूर ले जाती रही.
1. दीपक हुड्डा को प्लेइंग-11 में खिलाना वो भी बतौर फिनिशर… जबकि दिनेश कार्तिक टीम में पहले ही मौजूद थे.
2. लगातार खराब फॉर्म के बावजूद ऋषभ पंत को टीम में बनाए रखा गया.
3. छठे बॉलर का इस्तेमाल नहीं करने की रणनीति टीम के काम नहीं आई.
4. एक बड़ी चूक यह भी रही कि पावरप्ले में स्पिनर को नहीं लगाया गया.
5. रवि बिश्नोई को पाक के खिलाफ मैच के बाद प्लेइंग-11 से हटा दिया गया.

दबाव में बेहतर खेलने की अक्षमता फिर उजागर

टीम इंडिया को मल्टी-टीम इवेंट में क्या हो जाता है?

स्पष्ट है, पिछले टी20 वर्ल्ड कप के बाद कप्तान और कोच के तौर पर विराट कोहली और रवि शास्त्री की विदाई के बाद राहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जोड़ी ने टीम इंडिया की कमान संभाली. इस दौरान आक्रामक बल्लेबाजी शैली अपनाने की कोशिश की गई, जिसमें उसे सफलता भी मिली. तभी तो भारतीय टीम आईसीसी टी20 रैंकिंग में शीर्ष पर कायम है.  अब सवाल उठता है कि प्रमुख खिलाड़ियों के आराम करने के बावजूद हम अक्सर द्विपक्षीय सीरीज जीत हासिल करते हैं, तो मल्टी-टीम इवेंट क्यों नहीं?

एशिया कप में भारत के अभियान का बुरा हाल

एशिया कप में भारतीय टीम ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और ‘कमजोर’ हॉन्ग कॉन्ग के खिलाफ जीत से अपने अभियान का आगाज किया. हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ सुपर-4 के पहले मुकाबले में 181/7 का स्कोर खड़ा कर भी भारतीय टीम जीत हासिल नहीं कर पाई. मोहम्मद रिजवान (71 रन, 51 गेंदों में) और मोहम्मद नवाज (42 रन, 20 गेंदों पर) की तेज-तर्रार पारियां और डेथ ओवर्स की कुछ गलतियां भारतीय टीम पर भार पड़ीं.

टूर्नामेंट से जल्दी विदाई के डर के बीच श्रीलंका के खिलाफ उतरी भारतीय टीम शुरू में ही दो झटके लगे. ‘करो या मरो’ के मैच में केएल राहुल (6) और विराट कोहली (0) के सस्ते में निकलने के बाद कप्तान रोहित शर्मा (72 रन, 41 गेंदों में) ‘हिटमैन’ की भूमिका में चमके, पर लगातार विकेट गंवाने के चलते भारतीय टीम बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाई. 174 रनों के लक्ष्य के आगे पथुम निसांका और कुसल मेंडिस की सलामी जोड़ी ने श्रीलंका को धमाकेदार शुरुआत दी.

रनों की बरसात के बीच ‘लेगी’ युजवेंद्र चहल ने टीम इंडिया को वापसी का मौका जरूर दिया. श्रीलंका का स्कोर 97/0 से 110/4 हो गया. हालांकि इसके बाद कप्तान दाशुन शनाका और भानुका राजपक्षे के बीच 34 गेंदों में 64 रनों की अटूट साझेदारी ने श्रीलंका को बेहतरीन जीत दिला दी और भारतीय उम्मीदों को गहरा झटका दिया.

इस बात के स्पष्ट संकेत थे कि भारतीय खिलाड़ी घबरा गए हैं. नौसिखिए अर्शदीप सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ आसान-सा कैच टपका दिया था. अनुभवी भुवनेश्वर कुमार ने 19वें ओवर में पाकिस्तान और लंका के खिलाफ क्रमश: 19 और 14 रन दे डाले. आखिरी दो गेंदों पर जब श्रीलंका को दो रनों की जरूरत थी, तो विकेटकीपर ऋषभ पंत डायरेक्ट थ्रो नहीं कर पाए और लंकाई जोड़ी मैदान मार गई.

टी20 वर्ल्ड कप के लिए खतरे की घंटी तो नहीं?

टी20 वर्ल्ड कप में अब कुछ ही समय बचा है. टीम इंडिया को अपने पहले मैच (23 अक्टूबर) पाकिस्तान के खिलाफ भिड़ना है. लेकिन एशिया कप के इस लचर प्रदर्शन ने रोहित ब्रिगेड के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.

ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की गैरमौजूदगी से टीम का संतुलन बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है. अगर रोहित को दीपक हुड्डा की गेंदबाजी क्षमताओं पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें खिलाने का कोई मतलब नहीं था.

जर्मनी से इलाज कराकर लौटे केएल राहुल को मौके पर मौके मिले, पर वह हमेशा जूझते नजर आए. बड़े मुकाबलों में बतौर तेज गेंदबाज हार्दिक पंड्या पर अत्यधिक निर्भरता टीम के लिए घातक साबित हुई. ऋषभ पंत टी20 इंटरनेशनल में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में खुद को अब तक स्थापित नहीं कर पाए हैं. हालांकि कुछ सकारात्मक संदेश भी है, जैसे कि अर्शदीप ने डेथ ओवर्स में अनुशासित गेंदबाजी की. चहल ने पाकिस्तान के खिलाफ काफी रन देने के बाद वापसी की.

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