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265 छात्र, 13 मास्टर, ₹27 लाख चंदा: बहराइच में 30 साल से बिन मान्यता के चलता रहा मदरसा, नेपाली बच्चों को बगैर ID एडमिशन मिला

भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ती आबादी और इबादतगाहों पर ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट का एक और बड़ा असर देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक मदरसा 30 सालों से बिना मान्यता के चलता पाया गया। मदरसे के संचालक जाँच करने निकले जिला प्रशासन के अधिकारियों को कोई संतोषजनक कागज नहीं दिखा पाए। बताया जा रहा है कि इस मदरसे में नेपाल तक के छात्र पढ़ने आते हैं। फिलहाल आगे की कार्रवाई के लिए इस मदरसे की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

बहराइच जिले की सीमाएँ नेपाल से लगती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहाँ पाया गया मदरसा बहराइच शहर के बशीरगंज क्षेत्र में स्थित है। मदरसे का नाम मदरसा हिदायत उल इस्लाम है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड के अधिकारी संजय मिश्रा यहाँ जाँच करने पहुँचे थे। जब उन्होंने नेपाली छात्रों के एडमिशन की जानकारी माँगी तब मदरसा प्रबंधन उन्हें कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाया। मदरसा संचालकों ने बताया कि नेपाली छात्रों के एडमिशन के दौरान उनसे कोई पहचान पत्र नहीं लिया गया था।

इसी के साथ छात्रों को मिलने वाली मार्कशीट आदि भी वैध नहीं पाई गई। कहा जा रहा है कि उस मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाली मार्कशीट किसी मान्यता प्राप्त स्थान पर मान्य नहीं थी। जानकारी के मुताबिक जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इस पूरे मामले को छात्रों के भविष्य से लापरवाही के तौर पर देखा है। उन्होंने शासन को इस मदरसे के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी है।

बताया जा रहा है कि यह मदरसा साल 1992 से चलाया जा रहा था जिसमें फिलहाल लगभग 265 बच्चे तालीम हासिल कर रहे थे। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए 13 टीचर भी नियुक्त पाए गए। सूचना ये भी मिली है कि मदरसे को चलाने के लिए सालाना 27 लाख रुपए भी मिल रहे थे। ये रुपए चंदा जमा कर के आ रहे थे।

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