Friday , March 29 2024

मुलायम सिंह यादव के ‘धुर विरोधी’ के साथ शिवपाल ने किया गठबंधन, सपा को झटका

संभल। सपा के मुकाबले सियासी जमीन तलाश रहे शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) और राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीपी यादव (DP Yadav) एक मंच पर दिखे. यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की ओर कैलादेवी में आयोजित सभा में शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का डीपी यादव की पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल (आरपीडी) के साथ गठबंधन का ऐलान किया. उन्होंने इस दौरान 2003 में बसपा के 40 विधायक तोड़कर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को सीएम बनाने का खुलासा किया. अपने संबोधन में शिवपाल ने कहा, ‘डीपी यादव और हम लोग मिल गए हैं. अब हम मिलकर रहेंगे. चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा सभा का चुनाव हो, हम लोग पूरे उत्तर प्रदेश मिलकर लड़ेंगे. हम किसी की ताकत कम नहीं करना चाहते, हम अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं.’

प्रसपा अध्यक्ष ने कहा कि अगर हमने सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए होते तो सपा इतनी सीट नहीं जीतती. अपने रिश्ते की साली असमोली की सपा विधायक पिंकी यादव की मां पूर्व विधायक कुसुमलता यादव पर भी उन्होंने तंज कसा और कहा कि असमोली 2016 से साली-जीजा का रिश्ता भी भूल गई हैं.

डीपी मुलायम की ‘दुश्मनी’ की कहानी
बात 90 के दशक के उन दिनों से शुरू होती है जब डीपी यादव गाजियाबाद बुलंदशहर में राजनीति करते थे. बुलंदशहर में कांग्रेस के सईदुल हसन का सिक्का चलता था. वे मंत्री हुआ करते थे. बुलंदशहर विधानसभा सीट पर डीपी ने सईदुल हसन को हराया और तत्कालीन मुलायम सरकार में पंचायती मंत्री बने. इस दौरान ही लोकसभा चुनाव हुआ और डीपी यादव ने बुलंदशहर के साथ संभल में मुलायम की नवगठित सपा से 1989 में चुनाव लड़कर जीत हासिल की. इस दौरान ही डीपी मुलायम के बीच खटास हुई. डीपी यादव ने सपा छोड़ बीएसपी से संभल का चुनाव लड़ा और जीत गए. बाद में डीपी ने सपा-बसपा छोड़ दी और 1998 में चौधरी नरेंद्र सिंह की अगुवाई वाले भाजपा समर्थित तत्कालीन गठबंधन से चुनाव लड़ा.

जब डीपी यादव को हराने को खुद मैदान में आ गए मुलायम सिंह
डीपी को हराने को मुलायम सिंह खुद मैदान में आ गए. बड़ा सियासी घमासान मचा. चुनाव से एक दिन पहले यूपी बीजेपी में बगावत हुई. एक नया धड़ा बना और जगदंबिका पाल यूपी के सीएम बन गए. डीपी के धनारी स्थित फार्म पर छापा पड़ा. चुनावी जंग के बावजूद 1998 में मुलायम चुनाव जीते. 2003 में सपा ने रामगोपाल को संभल से डीपी यादव के सामने फिर उतारा. चुनाव दिवस पर डीपी पर बूथों पर कब्जे मारपीट के आरोप का सपा सरकार में मुकद्दमा लिखा गया. डीपी को जेल भेजा गया जहां से उन पर सपा सरकार में रासुका लगाया. डीपी यादव संभल को अपनी जमीन सीट बताते रहे. उनका आरोप है कि उनकी जमीन पर कब्जा करने मुलायम सिंह आए. यही दुश्मनी अब तक खत्म नहीं हुई है. बाद में वे सपा में दोबारा नहीं गए. डीपी यादव फिर से सियासी जमीन तलाश रहे हैं. उन्हें साथी चाहिए. शिवपाल और डीपी का गठबंधन अब संभल में कितना प्रभावित करता है, इससे सपा पर क्या असर पड़ेगा, ये देखने वाली बात होगी.

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch