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प्रयागराज के माघ मेले में धर्मांतरण की साजिश, गैंग सरगना हसन गाजी समेत 3 गिरफ्तार, हिंदू धर्म का कर रहे थे दुष्प्रचार, अबू धाबी से जुड़े हैं तार

प्रयागराज/लखनऊ। प्रयागराज (Prayagraj) जनपद के माघ मेले (Magh Mela) में धर्म परिवर्तन की साजिश (Conspiracy of Conversion) का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस ने मेला क्षेत्र से मुस्लिम और हिंदू धर्म से संबंधित आपत्तिजनक लेख वाली 204 पुस्तकों को जब्त किया है। इसके साथ ही तीन युवकों को गिरफ्तार भी किया गया है।

श्लोकों की गलत व्याख्या की

एसपी क्राइम सतीश कुमार ने बताया कि इनके पास से जो पुस्तकें बरामद हुई हैं। वे माघ मेले में बेची जा रही थीं। उनमें कुछ ही हिंदू धर्म की पुस्तकें हैं। बाकी इस्लाम से जुड़ी हैं। हिंदू धर्म की पुस्तकों में जो श्लोक लिखे हुए हैं, उनकी इन्होंने गलत व्याख्या की है। इससे उनके इरादे संदिग्ध लगते हैं।

गैंग का सरगना है मदरसे का शिक्षक गाजी

एसपी ने बताया कि आरोपियों के नाम महमूद हसन गाजी, मोहम्मद मोनिश और समीर हैं। ​​​​​गिरोह का​ सरगना गाजी है। वह फतेहपुर का रहने वाला है। वह प्रयागराज के मरियाडीह में इस्लामिया हिमदादिया मदरसे में टीचर है। वह पैगामे बहदानियत संस्था का प्रेसिडेंट भी है।

वहीं, मोहम्मद मोनिश उर्फ आशीष कुमार गुप्ता प्रयागराज के सरायइनायत का रहने वाला है। मोनिश स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन पूर्वी उत्तर प्रदेश का जोनल सचिव है। समीर उर्फ नरेश कुमार सरोज कौशांबी के चायल थाने का रहने वाला है। समीर गिरोह का एक्टिव मेंबर है। वह जगह-जगह इस्लामिक किताबें और पंपलेट बांटता है।

आबू धाबी से की जा रही आर्थिक मदद

पुलिस ने बताया कि इन लोगों के तार अबू धाबी से जुड़े हैं। जिस व्यक्ति को ये लोग किताबें देते थे। उसकी फोटो और मोबाइल नंबर ले लेते थे। फिर फोटो और मोबाइल नंबर को अबू धाबी भेजते थे। वहां से इन्हें आर्थिक मदद मिलती थी। इसके बाद धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि मुख्य आरोपी गाजी हिंदू धर्म के वेद, ऋचाओं आदि से श्लोक प्रिंट करता था।

इसके बाद श्लोकों के अर्थ का अनर्थ निकालकर दुष्प्रचार करता था। इसके जरिए गरीब लड़कों को धोखे से बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराता था। एसपी क्राइम ने बताया कि इनमें से पकड़े गए दो आरोपी कभी हिंदू थे। बाद में उन्होंने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। इनका टारगेट हिंदू धर्म स्थानों, मेलों आदि में जाकर धार्मिक पुस्तकों को बांटना है। ये करीब दो सालों से ऐसा कर रहे थे।

मो. मोनिश और समीर के दो-दो आधार कार्ड मिले हैं। इनके पास पहले हिंदू के आधार कार्ड थे। बाद में मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद मुस्लिम धर्म का भी आधार कार्ड बनवा लिया। पूछताछ में पता चला है कि अगर हिंदू धर्म स्थल पर जाते थे, तो हिंदू का और मुस्लिम धर्म स्थल पर मुस्लिम आधार कार्ड दिखाते थे।

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