इस्लामाबाद। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) की तरफ से आया बयान देश की चिंताओं को बढ़ाने वाला हैं। केंद्रीय बैंक की तरफ से कहा गया है कि अगले पांच दिनों में पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर का विदेशी कर्ज अदा करना है। इसमें चीन का भी भारी हिस्सा शामिल है। हालांकि केंद्रीय बैंक के गर्वनर जमील अहमद की तरफ से जो बयान दिया गया है वह थोड़ी उम्मीदें जगाने वाला भी है। अहमद ने बताया है कि वित्त वर्ष के पहली तिमाही में 15 अरब डॉलर के कर्ज की अदायगी कर दी जाएगी। इसके साथ ही देश फिलहाल कंगाल होने से बच गया है। अब देश को विदेशी कर्ज के तौर पर तीन अरब डॉलर चुकाने हैं। इस वित्त वर्ष के बचे हुए समय में इस लक्ष्य को भी हासिल कर लिया जाएगा। मगर पाकिस्तान के लिए अगले 72 घंटे काफी अहम हैं।
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अगले 72 घंटों में पाकिस्तान को 500 मिलियन डॉलर के कर्ज की अदायगी करनी है। यह कर्ज अदायगी उसके करीबी दोस्त चीन के एक कमर्शियल बैंक को की जाएगी। इसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार चार अरब डॉलर से भी नीचे चला जाएगा। साथ ही कोई नई मदद आने की जानकारी भी अभी तक नहीं मिली है। लूनर न्यू ईयर की छुट्टियों के बाद चीनी वित्तीय संस्थान पाकिस्तान को कर्ज देना शुरू कर देंगे। वित्त मंत्रालय के सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि एक चीनी कमर्शियल बैंक को 300 मिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना है। फरवरी के चौथे हफ्ते में यह राशि मैच्योर हो जाएगी।
चीनी बैंक का कर्ज चुकाने के बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस हफ्ते के अंत तक 3.5 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। सोमवार को देश की मौद्रिक नीति के बारे में केंद्रीय बैंक ने जानकारी दी। बैंक की तरफ से बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष में देश को 33 अरब डॉलर की जरूरत है। इसमें से 10 अरब डॉलर का वित्तीय घाटा और 23 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज शामिल है। अगले पांच महीनों के अंदर आठ अरब डॉलर की अदायगी करनी है। गर्वनर जमील अहमद की मानें तो अगले कुछ महीनों में विदेशी मदद मिलने की उम्मीद है। ऐसे में थोड़ी मदद मिल सकेगी।
इन सबके बीच ही देश के वित्त मंत्री इशाक डार कतर के लिए रवाना हो गए हैं। उनका मकसद रणनीतिक बिक्री में खाड़ी देश की दिलचस्पी का अंदाजा लगाना है। फंड जुटाने के लिए सरकारी उद्यमों के शेयर भी बेच दिए गए हैं। पाकिस्तान की अथॉरिटीज को अभी यह फैसला करना है कि सरकारी संस्थानों के लिए क्या कीमत तय की जाएगी। पिछले साल अप्रैल में कतर और यूएई के साथ कई राउंड बातचीत के बाद भी इसमें कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) को इस्लामाबाद एक टीम भेजने के लिए कहा था। उसका मकसद बेलआउट प्रोग्राम को नए सिरे से शुरू करना था जोकि अभी रुका हुआ है। अभी तक आईएमएफ ने इस पर फैसला नहीं किया है कि उसकी टीम पाकिस्तान जाएगी या नहीं। देश के पूर्व वित्त मंत्री मिफताह इस्माइल ने कहा है कि आईएमएफ प्रोग्राम के बिना देश कंगाल होने की कगार पर पहुंच जाएगा। देश के विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर आगाह किया है कि देश बहुत बड़े आर्थिक संकट में घिरता जा रहा है। मंहगाई रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है और कंगाल होने का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि एक के बाद एक आते संकट की वजह से घरों, ऑफिसेज और अस्पतालों एक बड़ी तबाही की तरफ बढ़ रहे हैं।