लखनऊ। श्रीरामचरित मानस पर विवादित बयान के बाद चौतरफा घिरे समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से संजीवनी मिल गई है? इसका उत्तर हां या ना जो भी हो लेकिन सच ये है कि इस बयान के आने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य नए सिरे से रामचरित मानस पर बात करनी और कुछ चौपाइयों को उससे निकालने की मांग पहले से तेज कर दी है। रविवार को जहां दो ट्वीट करके उन्होंने ये मांग सामने रखी वहीं सोमवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि धर्माचार्यों से मेरा अनुरोध है कि हिंदू धर्म में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए आगे आएं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमने एक छोटी सी बात उठाई थी। रामचरित मानस की चौपाइयों के कुछ अंश को जिसमें जाति विशेष को नीच अधम कहा गया, महिलाओं और शूद्रों को प्रताड़ित और अपमानित करने के लिए कहा गया। महिलाओं को नीच में भी नीच बताया गया, उस अंश को निकालने के लिए मैंने बात रखी लेकिन उस पर विचार करने के लिए देश के संत महात्मा, धर्माचार्य और वर्ग विशेष के लोगों ने मेरा सिर काटने, जीभ काटने, नाक-कान-हाथ काटने की सुपारी देना शुरू कर दिया। मैं उन धर्माचार्यों से कहना चाहता हूं कि क्योंकि मैं आपकी बनाई जाति, वर्ण व्यवस्था में चौथे पायदान पर आने वाले शूद्र समाज में पिछड़ी जाति में पैदा हुआ इसलिए आपने मेरा सिर, जुबान, कान, नाक, हाथ काटने के लिए फरमान जारी कर दिया। क्या आपमें हिम्मत है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी के बारे में भी ऐसा ही कर सकें।
उन्होंने कहा कि अभी भी इन तत्वों की अक्ल ठिकाने पर आ जानी चाहिए। हमने आपको अपशब्द नहीं कहे, किसी का अपमान नहीं किया, हमने से सिर्फ आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाने की मांग की तो उस पर विचार करने की बजाए आप एक आतंकवादी, अपराधी की भाषा बोलने लगे तो स्वाभाविक रूप से आपकी यही सोच है इस सोच के चलते बाबा साहेब को कहना पड़ा था कि मैं हिंदू धर्म में पैदा जरूर हुआ लेकिन इसमें मरूंगा नहीं। बाबा साहेब ने 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भेदभाव और ऊंच नीच पर प्रहार करने वाले कई महापुरुषों का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदू धर्म सुरक्षित रहे इसलिए इसकी बुराइयों को दूर करने के लिए धर्माचार्य आगे आएं। इसके साथ ही यदि किसी पाठ्य पुस्तक या कहीं किसी रचना में जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच अधम कहा गया, महिला समाज और शूद्र समाज को प्रताड़ित और अपमानित करने के लिए कहा गया, महिलाओं को नीच में भी नीच बताया गया तो ऐसे सभी हिस्सों को तत्काल उन पुस्तकों से बाहर किया जाना चाहिए जिसके नाते समय-समय पर इस विषय पर विवाद होता रहा।
सपा नेता ने कहा कि आगे विवाद न हो इसके लिए आज समय है कि सभी लोग बुराइयों, कुरीतियों, धर्म के नाम पर किसी को अपमानित करने, छलने, धोखा देने, गाली देने से सम्बन्धित चीजों को हटाने का कष्ट करें। वैसे भी आज हम सभी भारतीय संविधान की व्यवस्था से संचालित होते हैं। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 जिसमें कहा गया है कि जाति, वर्ण, लिंग, जन्मस्थान आदि के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, किसी को अपमानित नहीं किया जा सकता। जब यह साफ है कि सबको समान अधिकार है तो भारतीय संविधान के दिए हुए निर्देशों के सम्मान में धर्माचार्यों को आगे आना चाहिए।
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