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‘ASP मारने दौड़े, DM के इशारे पर हुआ सबकुछ’, अग्निकांड से पहले गुहार लगाने गया था परिवार, मां-बेटी पर ही FIR

कानपुर/लखनऊ। कानपुर देहात के मड़ौली गांव कांड ने तूल पकड़ लिया है. अतिक्रमण हटाने के दौरान झोपड़ी में जलकर मरीं मां-बेटी के परिजनों ने पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़ितों का कहना है कि गांव के कुछ लोगों की शिकायत पर प्रशासन ने उनका पक्का मकान गिरा दिया था. बेघर होने के बाद उनका परिवार जानवरों सहित जिलाधिकारी (DM) नेहा जैन के बंगले पर न्याय की गुहार लगाने पहुंचा. लेकिन वहां पर एडिशनल एसपी हमें मारने दौड़े और यह सब कुछ डीएम के इशारे पर हुआ.

बिना नोटिस के तोड़ डाला था घर

14 जनवरी को मैथा तहसील के एसडीएम, तहसीलदार, कानूनगो और लेखपाल स्थानीय रूरा थाने के प्रभारी दिनेश कुमार गौतम के साथ अचानक आ घर के बाहर आ धमके. उनके साथ 15 सिपाही और एक बुलडोजर भी था. इसके बाद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व नोटिस और सूचना के ही उनका घर गिरा दिया.

जानवरों समेत परिवार पहुंचा DM ऑफिस 

इस कार्रवाई से बेघर परिवार किराए के लोडिंग वाहन में अपने मवेशियों को भरकर जिलाधिकारी नेहा जैन के कार्यालय जा पहुंचा. लेकिन वहां डीएम और एडीएम ने गुहार न सुनते ही उल्टे पीड़ित परिवार के खिलाफ ही अकबरपुर थाने में केस दर्ज करवा दिया. साथ ही जेल भेजने की धमकी देकर जिला मुख्यालय से गांव भगा दिया. इस दौरान एडिशनल एसपी ने कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिवार से धक्का-मुक्की की. पीड़ित के अनुसार यह सब डीएम के इशारे पर ही हुआ.

बिना किसी को सचेत किए गिराई झोपड़ी 

इसके बाद से बेघर परिवार की कोई सुनवाई नहीं हुई. और अल्टीमेटम देकर गए पुलिस प्रशासन के अधिकारी 13 फरवरी को दोपहर 3 बजे फिर वापस आए झोपड़ी हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी. जेसीबी ड्राइवर ने सुनियोजित तरीके से अधिकारियों के इशारे पर बिना किसी को सचेत किए फूस की झोपड़ी को गिरा दिया. जबकि शिवम दीक्षित की मांग प्रमिला, बहन नेहा और पिता कृष्णपाल दोपहर में अंदर आराम कर रहे थे.

आग में जलकर हुई कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी-बेटी की मौत.

SDM के कहने पर लेखपाल ने लगाई आग

लेखपाल अशोक सिंह ने झोपड़ी में आग लगा दी और एसडीएम यह कहते नजर आए कि आग लगा दो, कोई बचने न पाए. और देखते ही देखते घास फूस के छप्पर ने आग पकड़ ली. परिवार के मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित और बेटा शिवम जैसे तैसे बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन उनकी पत्नी प्रमिला और बेटी नेहा आग में जलकर राख हो गईं.

22 बकरियों की भी मौत

एफआईआर के अनुसार, रूरा थानाध्यक्ष दिनेश गौतम और अन्य 15 पुलिसकर्मियों ने बाहर बचकर निकले पिता और बेटे को आग में फेंकने की कोशिश की. इस पूरी घटना में मां-बेटी समेत 22 बकरियों की दर्दनाक मौत हो गई.

सपा ने बीजेपी को घेरा 

इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने समाजवादी पार्टी के टि्वटर हैंडल को रिट्वीट किया. ट्वीट में लिखा है, ”मृतक का बेटा नाम लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के दोषी ठहरा रहा है. आप लोग हत्या, हत्या की साजिश, वसूली, धमकाने जैसी संगीन धाराओं में दोषी इन सभी अधिकारियों पर मुकदमा लिख कर कब जेल भेजेंगे. जब से नए कमिश्नर आए हैं, नोएडा जैसी वसूली और जमीन के धंधों में जुटे हैं.”

बता दें कि कानपुर देहात में हुई हृदय विदारक घटना के मामले में करीब 6 घंटे हंगामे के बाद रूरा थाने में मैथा तहसील के SDM ज्ञानेश्वर प्रसाद, रूरा थाना SHO दिनेश कुमार गौतम,लेखपाल अशोक सिंह, JCB ड्राइवर दीपक, मड़ौली गांव के ही रहने वाले 4 लोग अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल और 10-12 सहयोगी अज्ञात समेत 3 अन्य लेखपालों के खिलाफ 302, 307 सहित आधा दर्जन धाराओं में केस दर्ज हुआ है. साथ ही 12 से 15 महिला-पुरुष पुलिस वालों पर कुल 6 धाराओं 302, 307, 436, 429, 323, 34 में  एफआईआर दर्ज की गई है.

क्या है पूरा मामला 

गौरतलब है कि कानपुर देहात के रूरा थाना इलाके के मड़ौली गांव में बीते सोमवार को पुलिस फ़ोर्स के साथ तहसील प्रशासन ग्रामीण कृष्ण गोपाल दीक्षित के यहां अवैध अतिक्रमण हटवाने बुलडोजर लेकर पहुंचा था. उसी समय झोपड़ी में अचानक आग लग गई. इसमें कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा दीक्षित जिंदा जल गईं. अब इस पूरे मामले की जांच जारी है.

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