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58 साल बाद फिर अदालत बनी यूपी विधानसभा, कटघरे में खड़े 6 पुलिसकर्मियों को सुनाई गई सजा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने लगभग दो दशक पुराने एक मामले में तत्कालीन बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के मामले में शुक्रवार को छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई. दरअसल, विशेषाधिकार हनन का नोटिस 2004 का है. जब विश्नोई 15 सितंबर, 2004 को कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को एक ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, तब पुलिस कर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था.

अखिलेश यादव और सपा विधायक सदन में नहीं थे मौजूद

विधानसभा की अदालत की कार्रवाई के दौरान सपा के विधायक सदन मौजूद नहीं थे. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में नहीं थे. विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष से बोलने के लिए कहा, लेकिन सदन में किसी के नहीं होने के चलते इस प्रस्ताव को समर्थित मान लिया गया. इस दौरान दोषी पुलिसकर्मियों ने अपने आपचरण की लिए माफी मांगी. कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दोषियों के लिए 1 दिन की जगह कुछ घंटों का कारावास की अपील की, जिसपर सदन के विधायकों के असहमति जताई और सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष के कहने के बाद अब बदलाव नहीं हो सकता.

इन पुलिसकर्मियों को मिली सजा

विधानसभा की अदालत ने जिन पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है उनमें कानपुर नगर में बाबूपुरवा के तत्कालीन सीओ अब्दुल समद (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन एसएचओ किदवई नगर श्रीकांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिलोकी सिंह, कांस्टेबल छोटे सिंह, विनोद मिश्रा और मेहरबान सिंह शामिल हैं.

विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

विधानसभा के बजट सत्र में 11 दिन की कार्यवाही में सदन 36 मिनट के लिए स्थगित हुआ और 83 घन्टे 15 मिनट सदन की कार्यवाही हुई. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने होली की शुभकामनाओं के साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की.

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