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UCC और राम मंदिर बदलेंगे 2024 से पहले माहौल? क्या तैयारी कर रही है भाजपा

UCC और राम मंदिर बदलेंगे 2024 से पहले माहौल? क्या तैयारी कर रही है भाजपानई दिल्ली। विधि आयोग ने समान नागरिक संहित को लागू करने की सिफारिश की है और इसके लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। सरकार चाहती है कि इस मसले पर किसी फैसले से पहले एक नैरेटिव तैयार किया जाए। 2024 के लोकसभा चुनाव में एक साल का ही वक्त बचा है और उससे पहले यह कवायद हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की कोशिश लग रही है। यही नहीं जनवरी 2024 को राम मंदिर के लोकार्पण की भी तैयारी है। यह एक भव्य आयोजन होगा और कई दिनों तक कुछ कार्यक्रम भी चलाने की योजना है। उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में तो समान नागरिक संहिता को लेकर पैनल भी बनाए गए हैं।

जनसंघ के दिनों से ही भाजपा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने, राम मंदिर निर्माण और समान नागरिक संहिता को अपने कोर मुद्दे के तौर पर प्रचारित करती रही है। आर्टिकल 370 को 2019 में हटा दिया गया और अदालत के फैसले से राम मंदिर निर्माण भी हो रहा है। ऐसे में इन दोनों मुद्दों को भाजपा अपनी कामयाबी के तौर पर प्रचारित करना चाहती है। अब तीसरा और आखिरी कोर मुद्दा समान नागरिक संहिता का बचता है, जिस पर भाजपा आगे बढ़ना चाहती है। असल में यह मसला विपक्षी एकता की स्थिति में भाजपा को फायदे का लग रहा है।

विपक्षी दल एकता के जरिए बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में अपने पक्ष में मजबूत सामाजिक समीकरण बनाना चाहते हैं। वहीं भाजपा को लगता है कि समान नागरिक संहिता के जरिए ऐसा ध्रुवीकरण हो सकता है, जो विपक्षी एकता पर भी भारी पड़ेगा। खासतौर पर हिंदी पट्टी के राज्यों में इसका गहरा असर दिख सकता है। इसलिए भाजपा चुनाव से ऐन पहले समान नागरिक संहिता के मसले पर चर्चा पर जोर दे रही है। इसके अलावा राम मंदिर के उद्घाटन के जरिए तो पूरे माहौल को हिंदुत्वमय करने की कोशिश होगी ही।

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