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कांग्रेस, DMK, TMC, JDU… विपक्षी बैठक में जुट रहे दलों की संसद में ताकत कितनी?

नई दिल्ली। विपक्षी एकजुटता को लेकर आज बिहार की राजधानी पटना में दिग्गजों का जमावड़ा लगना है. विपक्षी दलों की इस महाजुटान में कुल 17 दलों को शामिल होना था लेकिन यूपी में समाजवादी पार्टी की गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) शामिल नहीं हो रही है. इसके पीछे वजह बताया जा रहा है पार्टी के प्रमुख जयंत चौधरी का देश से बाहर होना. जयंत चौधरी लंदन में हैं और बैठक में पार्टी प्रमुखों के शामिल होने की बात है, ऐसे में आरएलडी का कोई प्रतिनिधि इस बैठक में नहीं होगा.

विपक्ष के इस महामंथन में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी दल एक मंच पर किस तरह आ सकते हैं? इस पर चर्चा होनी है. विपक्षी दलों के नेता बार-बार ये दावे कर रहे हैं कि अगर सभी दल एकजुट हो गए तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराया जा सकता है. अब सवाल ये है कि नीतीश कुमार की इस बैठक में शामिल होने जा रहे दलों की ताकत क्या है जो वे इतने आत्मविश्वास के साथ बीजेपी से न सिर्फ लड़ने, बल्कि हराने की बात कर रहे हैं?

किस पार्टी की ताकत कितनी, किस राज्य में सरकार

विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की मुहिम नीतीश कुमार ने शुरू की थी. बिहार के मु्ख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की बात करें तो पार्टी बिहार के साथ ही पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में भी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार की 16 लोकसभा सीटों पर जेडीयू का कब्जा है. बिहार में पार्टी के 45 विधायक और 23 एमएलसी हैं.

आरजेडी की मौजूदगी लोकसभा में शून्य है. हालांकि, बिहार में पार्टी 79 विधानसभा सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. बिहार में जेडीयू और आरजेडी की गठबंधन सरकार है जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. लोकसभा में कांग्रेस के 49 सांसद हैं. कांग्रेस पार्टी की हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है. कांग्रेस बिहार के साथ ही झारखंड में भी सत्ताधारी गठबंधन में शामिल है.

कांग्रेस के बाद डीएमके-टीएमसी के अधिक सांसद

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज है. टीएमसी के लोकसभा में 23 सदस्य हैं. झारखंड की सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा का एक सांसद है तो वहीं समाजवादी पार्टी के तीन, एनसीपी के पांच, शिवसेना यूबीटी के छह, दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी का भी एक सदस्य लोकसभा में है.

भाकपा माले की लोकसभा में मौजूदगी शून्य है तो वहीं भाकपा के दो और माकपा के लोकसभा में तीन सदस्य हैं. तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके के कब्जे में 24 लोकसभा सीटे हैं. जम्मू कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का कब्जा है जबकि पीडीपी 2019 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.

नीतीश कुमार की ओर से बुलाई गई इस बैठक में जो दल शामिल हो रहे हैं, लोकसभा में उनका संख्याबल करीब डेढ़ सौ सीट के आसपास हैं. अलग-अलग राज्यों में इनका मजबूत जनाधार है. नौ राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में इनकी सरकार है. लोकसभा के मुकाबले विधानसभा चुनाव में इनका मजबूत जनाधार रहा है.

राज्यसभा में किसके पास कितना संख्याबल

संसद के उच्च सदन राज्यसभा की बात करें तो पटना की बैठक में शामिल हो रही पार्टियों में 31 सांसदों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के 10, टीएमसी के 12, डीएमके के 10, आरजेडी के 6, माकपा के 6, जेडीयू के 5 और एनसीपी के 4 राज्यसभा सांसद हैं. शिवसेना यूबीटी के तीन, समाजवादी पार्टी के तीन,भाकपा के दो और झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो राज्यसभा सांसद हैं.

मुख्यमंत्री आवास में 11.30 बजे से बैठक

अलग-अलग विपक्षी दलों के नेताओं की ये बैठक बिहार के मुख्यमंत्री आवास पर होगी. बैठक की शुरुआत 11 बजकर 30 मिनट पर होनी है. इसके लिए आयोजकों ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अधिकतर नेता पटना पहुंच गए हैं. नेताओं के साथ अधिकारियों को तैनात किया ही गया है, विधायकों को भी लगाया गया है.

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