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दिल्ली सेवा विधेयक पर बरसे अभिषेक मनु सिंघवी, सामने बैठे अमित शाह को बताया ‘सुपरबॉस’

दिल्ली सेवा विधेयक पर बरसे अभिषेक मनु सिंघवी, सामने बैठे अमित शाह को बताया 'सुपरबॉस'नई दिल्ली। विपक्ष के हंगामे के बीच सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा (संशोधन) विधेयक 2023 को राज्यसभा में पेश कर दिया। बिल पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है। विपक्ष पहले से ही इस विधेयक का विरोध करने का मन बना चुका था। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने विधेयक का विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर तंज कसे। उन्होंने बिल के बारे में बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह को सुपरबॉस बता दिया और कहा कि सारे अंतिम निर्णय इनको ही लेने हैं।

सिंहवी ने कहा कि आखिर 1992 के बाद से कोई और सरकार इस तरह का विधेयक लेकर क्यों नहीं आई। भाजपा भी केंद्र में रही और कांग्रेस भी लेकर किसी ने संवैधानिक पीठ के फैसले को इस तरह ओवररूल नहीं किया। किसी सरकार ने दो नौकरशाहों को मुख्यमंत्री से ज्यादा ताकतवर क्यों नहीं बनाया। एलजी को किसी सरकार ने सुपर सीएम क्यों नहीं बनाया। इस सरकारऔर इस विधेयक ने यह सब कर दिया जो पहले कभी नहीं किया गया। क्योंकि इनकी फितरत यही है। ये चुनावी हार को पचा नहीं पा रहे हैं इसलिए चुनी गई सरकार को किसी भी तरह नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बिल असंवैधानिक है। यह दिल्ली के लोगों की आवाज को दबाने वाला है। यह विधानसभा आधारित लोकतंत्र का उल्लंघन करता है।

उन्होंने कहा, 30 साल पहले दिल्ली के लोगों से जो वादा किया गया था उसका भी उल्लंघन करता है। सिंघवी ने इकबाल की पंक्तियां बोलते हुए कहा, लम्हों ने खता की , सदियों ने सजा पाई। यह बिल संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है। यह उनके लिए सोचने की बात है जो इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। जो आज दिल्ली सरकार के साथ हुआ है वह आपके साथ भी हो सकता है। सबका नंबर आ सकता है। जब नंबर आएगा तो आपको मार्टिन न्यूमरर के शब्द।

शाह को बताया सुपरबॉस

सिंघवी ने कहा यह बिल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाता है। यह हर अफसर को लेकर अधिकार देता है। कौन किसी और की सरकार में सेक्रेटरी बनेगा यह काम एलजी करेंगे। जितने भी सतर्कता के अधिकार हैं वे सभी इस अथॉरिटी में सुझाव के लिए आएंगे। इसका उद्देश्य है कि एक भय का माहौल बनाना। इस अथॉरिटी में तीन लोग हैं। चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रटरी और मुख्यमंत्री। यह अजीब सा अध्यक्ष है दोस्तों जो बिना चेयर के चेयरमैन है। मैंने आज तक नहीं देखा कि एक चुनावी चीफ एग्जिक्यूटिव दो सचिवों के नीचे आएगा। ये दो सचिव बैठकर निर्णय करेगा और मुख्यमंत्री खड़ा देखता रहेगा। उसके बाद ये निर्णय पहले सुपर सीएम के पास जाएगा। और फिर सुपरबॉस यानी जो हमारे सामने बैठे हैं गृह मंत्री के पास आएगा। चौथा जितने बोर्ड्स हैं वे सभी बजट दिल्ली सरकार से लेंगे लेकिन उनके हेड  सुपर सीएम होंगे।

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