मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कपड़ा फाड़ पॉलिटिक्स भी चर्चा में है। अब कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि साल 1985 से लेकर आज तक अपने कपड़े फड़वा रहा हूं। दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैंने हमेशा से अपने कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान करते हुए यही कहा है कि किसी का भी दोष हो विष तो दिग्विजय सिंह को पीना ही है सो पीता हूं।’
दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने जब अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया तब इसके बाद से ही पार्टी के कई नेताओं ने विरोध के स्वर उठाए थे। कुछ वक्त पहले जब पार्टी अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर रही थी तब कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं कमलनाथ औऱ दिग्विजय सिंह के बीच हुई बातचीत यहां सियासी-गलियारे में काफी चर्चित रही। वचन पत्र जारी करने के दौरान एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था, ‘आपने सबसे पहले दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने को लेकर प्रश्न पूछा था। मैंने आपको जवाब में कहा था कि अगर आपकी बात ना मानें तो आप भी उनके (दिग्विजय सिंह)कपड़े फाड़ दीजिए।’
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को टोकते हुए कहा था, ‘फॉर्म ए और फॉर्म बी पर दस्तखत किसके होते हैं? पीसीसी प्रेसिडेंट के…तो कपड़े किसके फटने चाहिए बताओ।’ कमलनाथ ने मंच से कहा था, ‘मैंने बहुत पहले इनको (दिग्विजय सिंह) को पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी। वो पावर ऑफ अटॉर्नी थी कि आप पहले कमलनाथ के लिए गालियां खाइए।’ इसपर दिग्विजय सिंह ने कहा था, ‘यह भी सुन लीजिए कि गलती कौन कर रहा है। जिसपर कलमनाथ ने कहा था, गलती हो या नहीं गाली खानी है।’ इसपर दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘शंकर का काम ही विष पीना है, तो पी लेंगे।
दरअसल रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रतलाम जिले के जावरा विधानसभा सीट पर पार्टी प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के समर्थन घंटाघर में एक आमसभा करने पहुंचे थे। यही पर उन्होंने कहा कि साल 1985 से वो अपने कपड़े फड़वा रहे हैं। भाजपा पर निशाना साधते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘जो नफ़रत फैलाता है वो सनातन धर्म का पालन नहीं करता। सनातन धर्म में शांति के लिए पूजा की जाती है। विश्व का कल्याण हो ऐसी पूजा की जाती है। सर्व धर्म समभाव यही हमारा सनातन धर्म है।’ दिग्विजय ने कहा, ‘मैंने गीता भी पढ़ी हैं, मैंने कुरान भी पढ़ी है, बाइबिल पढ़ी है और गुरु गंसा भी पढ़ी। कोई धर्म नफरत नहीं सिखाता है।’
साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।