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घोसी में बचाई जमीन, I.N.D.I.A. में कांग्रेस से तनातनी… आजम की आई याद, अखिलेश का साल 2023

क्या अखिलेश यादव आजम खान से दूर होना चाहते थे? | MojoPatrakarलखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2023 का साल अलग ही रहा है। इस वर्ष हुए चुनावों में समाजवादी पार्टी और गठबंधन को अलग- अलग माहौल बनता दिखा। समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के लिए साल 2023 अलग ही रहा है। पार्टी ने घोसी में अपनी जमीन बचाने में कामयाबी हासिल की। पार्टी को इस सीट पर जीत मिली। सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने जीत दर्ज की। यूपी चुनाव 2022 के बाद समाजवादी पार्टी को मैनपुरी लोकसभा सीट और रालोद उम्मीदवार की खतौली विधानसभा सीट पर जीत ने अलग भरोसा दिलाया था। कुछ इसी प्रकार का मोमेंटम 2023 में भी बनाए रखने का दावा किया गया। हालांकि, स्वार और छानवे विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में पार्टी को झटका दिया।

स्वार और छानबे सीट पर इस साल हुए उप चुनाव में एनडीए की सहयोगी अपना दल के उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे। उन्होंने समाजवादी पार्टी को इन दोनों सीटों पर मात दी। हालांकि, घोसी उप चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा। सितंबर में हुए इस उप चुनाव में समाजवादी पार्टी अपनी जमीन बचाए रखने में कामयाब रही। यूपी चुनाव 2022 में सपा उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे दारा सिंह चौहान ने जीत दर्ज की थी। दारा ने पार्टी बदली। विधानसभा से इस्तीफा दिया। भाजपा में वापसी की। सीनियर ओबीसी नेता को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतार भी दिया। लेकिन, वे जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हुए।

सितंबर 2023 के उप चुनाव में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की। उन्होंने चुनावी मैदान में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए फ्रंट का जिक्र किया। वहीं, देश में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की भी यह परीक्षा थी। इसमें पार्टी को सफलता मिली। भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी इस सीट पर पार्टी को सफलता नहीं मिली। अखिलेश यादव घोसी के मोमेंटम को आगे भी बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले उप चुनावों में भी वे इसी रणनीति के तहत उतरने की योजना बना रहे हैं।

सपा अध्यक्ष को इस साल आजम खान की खूब याद आई। फरवरी 2020 में आजम को जेल जाना पड़ा था। करीब 28 माह बाद बाहर निकले आजम खान से मिलने अखिलेश पहुंचे थे। तब दोनों नेताओं के बीच उस स्तर का समीकरण नहीं बनता दिखा था। लेकिन, मुलायम के निधन के बाद उनके करीबी नेताओं को लेकर अखिलेश संवेदनशील होते दिखे हैं। इस साल के शुरुआत से ही अखिलेश ने आजम का मुद्दा उठाया। सरकार की ओर से उन्हें राजनीतिक रूप से टारगेट किए जाने का आरोप लगाया। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान उन्होंने इस मुद्दे को लेकर मार्च भी निकाला।

अखिलेश यादव ने इस वर्ष विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का हिस्सा बनना स्वीकार किया। यूपी चुनाव 2022 में किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करने वाले अखिलेश यादव को लेकर कयासों का दौर चल रहा था। कभी ममता बनर्जी तो कभी केसीआर के साथ नजर आने वाले अखिलेश यादव एक बार फिर राहुल गांधी के साथ बैठक करते दिखे। I.N.D.I.A. में शामिल होने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में ही सपा और कांग्रेस के बीच की कड़वाहट सामने आ गई। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने जमकर कांग्रेस के खिलाफ हमला बोला। हालांकि, विधानसभा चुनावों के बाद एक बार फिर अखिलेश I.N.D.I.A. की बैठक में नजर आए। लेकिन, अभी भी वे यूपी में खुद का नेतृत्व चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस की नजदीकियां हाल के समय में बसपा के साथ भी बढ़ने की खबरें हैं। ऐसे में आने वाले समय में विपक्षी गठबंध I.N.D.I.A. के स्वरूप में बदलाव भी दिख सकता है।

एक बार फिर जाना पड़ा जेल

आजम खान के लिए 2023 एक बुरे की सपने की तरह रहा। उन्हें दूसरी बार जेल जाना पड़ा। दरअसल, आजम के बेटे अब्दुल्लाह आजम के फर्जी सर्टिफिकेट केस में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई। आजम के साथ- साथ उनकी पत्नी तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्लाह को भी सजा सुनाई गई है। सजा के ऐलान के बाद तीनों को जेल जाना पड़ा है। वहीं, आजम की मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट पर भी एक्शन हो गया है। सरकार ने ट्रस्ट को दी गई जमीन का लीज खत्म करने का फैसला लिया। उनके स्कूल को भी खाली कराया गया है। बेटे अब्दुल्लाह आजम के खिलाफ कोर्ट का आदेश आने के बाद उसकी विधानसभा सदस्यता गई। इसके बाद हुए उप चुनाव में स्वार सीट पर अपना दल उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहे।

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