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भाजपा में जाकर क्या पाएंगे अखिलेश यादव के करीबी मनोज पांडेय, दो चर्चाएं

भाजपा में जाकर क्या पाएंगे अखिलेश यादव के करीबी मनोज पांडेय, दो चर्चाएंलखनऊ। उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के राज्यसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अखिलेश यादव के करीबी नेता मनोज पांडेय ने पार्टी के चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं चर्चा है कि वह दोपहर 12 बजे सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर सकते हैं और फिर वह जल्दी ही भाजपा में भी एंट्री कर सकते हैं। उनके अलावा राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह जैसे कई और विधायक भी सपा से एग्जिट कर सकते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा मनोज पांडेय की है। इसकी वजह यह है कि उनसे ही मतभेदों के चलते पहले स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी छोड़ गए और वह खुद अब अखिलेश यादव से अलग होने पर विचार कर रहे हैं।

रायबरेली की ऊंचाहार सीट से तीन बार से विधायक मनोज पांडेय के भाजपा में जुड़ने की चर्चा 2022 के चुनाव से पहले भी शुरू हुई थी। तब उनकी एंट्री नहीं हो पाई थी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि कुछ डील हो चुकी है। चर्चा यह भी है कि भाजपा ने ‘प्लान रायबरेली’ के तहत उन्हें साधने का फैसला लिया है। इसके तहत उन्हें रायबरेली लोकसभा सीट से उतारा जा सकता है। यहां से सोनिया गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं और अब तक साफ नहीं है कि कांग्रेस से कौन उतरेगा। वहीं भाजपा के पास अपना कोई मजबूत चेहरा इस सीट पर नहीं है। मनोज पांडेय रायबरेली की ही एक सीट से विधायक हैं और उनका बड़ा जनाधार है।

रायबरेली में वह जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें यदि लोकसभा में उतारा गया तो भाजपा के वोटों के अलावा मनोज पांडेय समर्थकों का भी साथ मिलेगा। ऐसे में इस सीट पर पहली बार कोई स्थानीय नेता जीत भी सकता है। वहीं मनोज पांडेय भी यह दांव लगाना चाहते हैं क्योंकि रायबरेली का सांसद बनना बड़ी प्रतिष्ठा की बात होगी। 2019 में भी भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह ने कड़ी टक्कर दी थी। एक चर्चा यह भी है कि मनोज पांडेय को योगी सरकार में ही मंत्री पद मिल सकता है। अवध क्षेत्र में मनोज पांडेय बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं और सपा भी उनका इस्तेमाल समुदाय को जोड़ने के लिए करती रही है।

ऐसे में भाजपा के लिए रायबरेली में पैठ बनाने के अलावा ब्राह्मण समाज में संकेत देने के लिए भी मनोज पांडेय अहम हैं। हालांकि यह पूरा घटनाक्रम अखिलेश यादव को निराश करने वाला है। उनके लिए यह स्थिति माया मिली न राम जैसी हो गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य से विवाद की स्थिति में वह मनोज पांडेय के साथ ही खड़े नजर आए थे। लेकिन अब वही मनोज पांडेय भी उनका साथ छोड़ रहे हैं। इसके अलावा ऊंचाहार सीट पर भी सपा के जनाधार को झटका लगेगा। मनोज पांडेय यहां से लगातार 2012 से ही विधायक चुने जा रहे हैं।

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