नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अब यह 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से आपकी जेब पर असर पड़ना तय है. रेपो रेट बढ़ने से आपके लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी. आपकी ईएमआई कितनी बढ़ेगी इसके लिए अपने लोन की मूल राशि, ब्याज दर, कितने साल के लिए लोन लिया है और फिलहाल ईएमआई कितनी है, इसके आधार पर कैलकुलेट हो सकता है. रेपो रेट बढ़ने पर आपकी जेब पर पड़ने वाले असर को समझने के लिए आपको ये जानना भी जरूरी है कि रेपो रेट होता क्या है.
होम लोन EMI का बोझ
होम लोन | अवधि | पुरानी EMI | नई EMI (0.25% बढ़े ब्याज के साथ) | सालाना बोझ |
30 लाख रुपए | 25 साल | 24055.81 | 24562.48 | 6080 रुपए |
कार लोन | अवधि | पुरानी EMI | नई EMI | सालाना बोझ |
5 लाख रुपए | 5 साल | 10354.93 रुपए | 10415.62 रुपए | 732 रुपए |
रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा. महंगी दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का बोझ बैंक अपने उपभोक्ता पर बढ़ाते हैं. यह बोझ आपके साथ महंगे कर्ज और बढ़ी हुई ईएमआई के तौर पर बांटा जाता है. इसी वजह से जब भी रेपो रेट बढ़ता है तो आपके लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है. साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी बढ़ जाती है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है.