नई दिल्ली। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे पर मचे घमासान के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर ब्लाग लिखकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया है.
जेटली ने जहां ममता बनर्जी को 2005 में उनके द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर संसद में दिए वक्तव्य का हवाला देते हुए घेरा है. वहीं, दूसरी तरफ राहुल गांधी को उनकी दादी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी के कार्यकाल में किए गए समझौतों का हवाला देकर घेरा है.
जेटली का कहना है कि 1971 में बांग्लादेश की स्थापना के बाद भारत और बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के बीच फरवरी 1972 में एक समझौता हुआ था. जिसके तहत भारत सरकार ने 30 सितंबर 1972 को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि 25 मार्च 1971 से पहले वे बांग्लादेशी नागरिक जो भारत आए थे उनकी पहचान की जाएगी. लेकिन वे बांग्लादेशी नागरिक जो इसके बाद आए थे उन्हें अपने मुल्क वापस भेजा जाएगा.
इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 15 अगस्त 1984 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किए. जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया कि 1 जनवरी 1966 से पहले आने वाले शरणार्थी मतदाता सूची में बने रहेंगे. वहीं 1 जनवरी 1966 के बाद और 24 मार्च 1971 से पहले आने वाले सभी विदेशी नागरिकों को फॉरेनर्स एक्ट और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ऑर्डर 1964 से गुजरना होगा. यदि वे पकड़े जाते हैं तो मतदाता सूची से उनके नाम हटा दिए जाएंगे और उन्हे विदेशी नागरिक के तौर पर रजिस्टर किया जाएगा. वहीं 25 मार्च 1971 के बाद आने वालों की पहचान कर उनके नामों को मतदाता सूची से हटाने के बाद इन्हे देश से वापस भेजा जाएगा.
जेटली ने लिखा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमश: 1972 और 1985 में विदेशी नागरिकों का नाम हटाने और उन्हे वापस भेजने के लिए एक स्टैंड लिया लेकिन आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी विपरीत स्टैंड ले रहे हैं.
जेटली ने कहा आज वही ममता बनर्जी फेडरल फ्रंट की नेता के तौर पर विपरीत बातें कर रही हैं. जेटली ने पूछा क्या भारत की स्वायतता ऐसे कमजोर हाथों से तय होगी ?
जेटली ने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी सरीखे नेताओं को यह सोचना चाहिए कि भारत की स्वायतता कोई खेल नहीं है. स्वायतता और नागरिकता भारत की आत्मा है. न कि आयातित वोट बैंक.