नई दिल्ली। लोकसभा के पूर्व स्पीकर और वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी ने पिछले साल एक इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि पश्चिम बंगाल में जिस तरह से बीजेपी बढ़ रही है, उससे वह एक दिन सत्ता में भी आ सकती है. लेकिन उन्होंने कहा था कि वह चाहेंगे कि उनके जीवनकाल में बीजेपी राज्य की सत्ता में न आए.
कैरवां पत्रिका को जून, 2017 में सोमनाथ चटर्जी ने विस्तार से कई सवालों के जवाब दिए थे. जब उनसे पूछा गया कि बंगाल में वह बीजेपी के लिए क्या संभावना देखते हैं, क्या वह राज्य की सत्ता में आ सकती है? तो इसके जवाब में सोमनाथ चटर्जी ने कहा था, ‘वह राज्य की दूसरी पार्टी तो बन ही चुकी है. पहले तो राज्य में बीजेपी का कोई नाम भी नहीं जानता था. वह सत्ता में आ जाए तो कोई अचरज की बात नहीं होगी. दुर्भाग्य से ऐसा हो सकता है. मैं बस यही उम्मीद करता हूं कि मेरे जीते जी ऐसा न हो.’
धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल
बीजेपी के केंद्र और राज्यों में उभार के बारे में उन्होंने कहा था, ‘इसमें धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल होने का खतरा है. धर्म खतरे में है के नारे से लोगों को जुटाना आसान है, खासकर उन समुदायों को जो राजनीतिज्ञों की वजह से ही तमाम समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने यूपी, असम में यही किया. अब केरल, पश्चिम बंगाल में करेंगे.’
योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बनाने पर उन्होंने कहा था, ‘यूपी के चुनावों में सफलता मिलने के बाद यह उनका एक प्रयोग है. काफी सोचा-समझा प्रयोग कि उनके जैसे व्यक्ति का चुनाव करें और फिर लोगों की प्रतिक्रिया देखें. इस देश को भगवान ही बचा सकता है.’
आम जनता से दूर हुए वामपंथी
वामपंथी दलों की हालत पर उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से यह नेतृत्व की विफलता है. विस्तार की जगह पार्टी अपने नेताओं को महत्व दे रही है और आम जनता, संघर्षरत लोगों, कामगार वर्ग से दूर हो गई है. इन्हीं वर्गों के लिए काम करने की वजह से पार्टी बंगाल में लोकप्रिय हुई थी. नेतृत्व की वजह से ही कम्युनिस्ट पार्टी सिर्फ बंगाल और केरल तक सीमित रह गई.’
कांग्रेस में नेतृत्व की समस्या
कांग्रेस के भविष्य पर सोमनाथ चटर्जी ने कहा, ‘स्वतंत्रता आंदोलन में इस पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उसे विभाजित करने वाले दलों के सामने हथियार नहीं डालना चाहिए. उनका भविष्य है, लेकिन उनमें भी नेतृत्व की समस्या दिख रही है.