मुंबई। विदेशी धरती पर भारत को वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ पहली जीत दिलाने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान अजीत वाडेकर का लंबी बीमारी के बाद बुधवार को मुंबई में निधन हो गया. वह 77 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी रेखा के अलावा दो बेटे और एक बेटी है. वाडेकर ने दक्षिण मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाडेकर को महान बल्लेबाज, शानदार कप्तान और प्रभावी क्रिकेट प्रशासक बताते हुए उनके निधन पर शोक जताया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “अजित वाडेकर को भारतीय क्रिकेट में उनके महान योगदान के लिए याद किया जाएगा. महान बल्लेबाज और शानदार कप्तान जिन्होंने हमारी टीम को क्रिकेट के इतिहास की कुछ सबसे यादगार जीत दिलाई. वह प्रभावी क्रिकेट प्रशासक भी थे. उनके जाने का दुख है.” वाडेकर की गिनती भारत के सफल कप्तानों में होती है. वह बाएं हाथ के बल्लेबाज व कुशल फील्डर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर आठ वर्ष का रहा.
वाडेकर भारतीय क्रिकेट टीम के एकमात्र ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने लगातार तीन सीरीज में टीम को जीत दिलाई. इनमें इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की धरती पर भारत की जीत शामिल है. उन्होंने 37 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 31.07 की औसत से 2113 रन बनाए. उन्होंने एकमात्र शतक (143 रन) 1967-68 में न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया था. वाडेकर चार बार 90 या अधिक रन बनाकर आउट हुए, पर शतक पूरा नहीं कर सके थे.
भारत के पहले वनडे कप्तान
वह भारतीय वनडे टीम के पहले कप्तान थे. उन्होंने हालांकि दो मैच ही खेले. वाडेकर 1990 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे थे. वह बाद में चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे. घरेलू क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था. उन्होंने 1966-67 के रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर मैसूर के विरुद्ध बनाया था. वाडेकर ने कुल 18 दलीप ट्रॉफी मैच खेले जिनमें छह में वह वेस्ट जोन के कप्तान रहे. उन्होंने छह बार बम्बई टीम की कप्तानी भी की. वाडेकर ने इंग्लैंड के 1967 के दौरे पर काउंटी मैचों में 835 रन बनाए.