लखनऊ/अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद के प्राथमिक विद्यालयों में अगर आप जाएं तो आपको ऐसा प्रतीत होगा जैसे आप टाइम मशीन से 80-90 दशक के भारत में आ गए हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि आज भी वहां के बच्चों के लिए बनाए जाने वाले भोजन लकड़ी के चूल्हों पर पकाए जाते हैं।
आप सोच रहे होंगे की सरकार तो महिलाओं को ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत रसोई गैस के कनेक्शन दे रही है फिर वहां कि महिलाएं आज भी चूल्हा जलाने को क्यों मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण है जिले के दर्जनों स्कूलों में गैस सिलेंडरों का चोरी होना, जिसका न तो पुलिस पता लगा पाई है और न ही शिक्षा विभाग के पास चोरी हुए गैस सिलेंडरों का आंकड़ा है।
बता दें कि, चूल्हा जलाने से प्रतिदिन भोजन भी समय पर नहीं तैयार हो पाता है। चूल्हे के धुएं से आसपास का क्षेत्र भी प्रदूषित हो रहा है। वहीं, पढ़ाई करने वाले बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। उनका स्वास्थ्य प्रभावित होने का खतरा बना हुआ है। धूंआ के बीच भोजन माताओं दम घुटता देख ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिले के अधिकतर स्कूल आज भी विकास की मुख्य धारा से पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए हैं। आज भी इन स्कूलों में सरकार की योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं मिल पा रहा है।
अमेठी जिले के अधिकतर स्कूल प्राथमिक विद्यालय एक्काताजपुर, सिधौली, संसारपुर, दक्खिनगॉव, पूरे बोधी, मकदूमपुर कला, हुसैनुपर, बरसण्डा, जलाली, सत्थिन, आदि सैकड़ों स्कूल की भोजन माताओं ने बताया कि बरसात के दिनों में भीगी लकड़ी और नर्म उपलों से भोजन तैयार करने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है। तब जाकर केन्द्र सरकार की ये महत्वकांशी योजना चल पाती है।
छोटे से परिवार में ही जब घुंए भरे लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाना मुश्किल होता है तो भला इतने सारे बच्चों के लिए कैसे भोजनमाता खाना पकाती होंगी इसकी कलपना की जा सकती है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि, जिले के सभी स्कूलों में गैंस कनेक्शन हैं जिन स्कूलों में गैंस रिफलिंग समय से नहीं हो पाती वहीं ऐसी दिक्कत आ रही है।
उन्होंने कहा कि, दर्जनों स्कूलों गैंस सिलेंडर चोरी होने से भी ऐसी दिक्कत आ रही है। जिला संवयन अधिकारी एमडीएम अरूण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि जिले के सभी स्कूलों में गैंस संयोजन हेतु मार्च में ही पैसा भेज दिया गया है। लेकिन गैंस सिलेंडर चोरी होने की रिपोर्ट मेरे पास नहीं है।