राजेश श्रीवास्तव
एक तरफ यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में महिला सुरक्षा के दावे कर रही है, लेकिन अपराध थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में रोज औसतन 8 महिलाओं का बलात्कार किया जाता है और 3० महिलाओं का अपहरण किया जाता है। इतना ही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की यूपी में रोज 1०० ज्यादा एफआईआर दर्ज होती हैं।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2०17 और 2०16 के मुकाबले इस साल जनवरी से मार्च के बीच में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भारी इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 24 प्रतिशत अधिक दर्ज किए गए हैं।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि चूंकि पुलिस अब ज्यादा से ज्यादा एफआईआर लिखने लगी है और किसी भी फरियादी को नजरअंदाज नहीं किया जाता है, इसलिए आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में कहा था कि यदि उप्र में भाजपा सरकार बनी तो अपराधी या तो यूपी से बाहर होंगे या फिर जेल में।
लेकिन अपराधी तो यूपी में ही हैं और जेल में जो हैं वह भी अंदर से भी सक्रिय हैं। अपराधियों का बढ़ता हौसला साफ बता रहा है कि यूपी में पुलिस का इकबाल घटा है। जिस तरह से उन्नाव, बरेली, बहराइच समेत यूपी के कई इलाकों में महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों का खुलासा हो रहा है और अपराधी खुले आम घूम रहे हैं। उससे तो साफ है कि पुलिस और सरकार का खौफ इनकी आंखों पर नहीं दिख रहा है।
योगी सरकार ने 1०9० को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है। जबकि उसकी खुद की चलाई गयी योजना एंटी रोमियो स्कवायड भी ठप पड़ी हुई है। ऐसे में महिलाओं को सुरक्षा देने का उसका दावा कोरा ही नजर आ रहा है, कम से कम घटनाएं तो यही तस्दीक कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए ताबड़तोड़ एनकाउंटर के आदेश भी दिये। लेकिन उसके बावजूद अपराध थमते नहीं दिखे।
महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ रहा है। सूबे की सरकार बेशक कुछ भी दावे करती हो, लेकिन यूपी में महिलाएं कितनी डरी-सहमी हैं इसकी गवाही खुद अपराध के आंकड़े दे रहे हैं। मार्च 2०18 में विधायक नाहिद हसन ने विधानसभा में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सवाल उठाया था. जिसके जबाव में जो आंकड़े आए वो बेहद चौंकाने वाले थे। महिलाओं और बालिकाओं पर छेडख़ानी की घटनाएं एक ही साल में दोगुनी हो गई हैं।
वर्ष 2०16-17 में जहां 495 घटनाएं हुईं थी तो अप्रैल 2०17 से जनवरी 2०18 में 987 छेडख़ानी की घटनाएं सामने आई हैं। महिलाओं और बालिकाओं के अपहरण की बात करें तो ऊपर दिए गए समय में 9828 से बढ़कर 13226 घटनाएं हो गई हैं। बलात्कार के आंकड़ें भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। बलात्कार की घटनाएं 2943 से बढ़कर 37०4 पर पहुंच गई हैं।
बलात्कार की कोशिश की वारदात 8159 से बढ़कर 114०4 के आंकड़े पर पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं दहेज के लिए भी महिलाओं को खूब प्रताडिèत किया जा रहा है। ये आंकड़ा 2०84 से बढ़कर 2223 पर पहुंच गया है। उत्पीडऩ की बात करें तो ये आंकड़ा 1०219 से बढ़कर 13392 पर पहुंच गई हैं।
अगर अकेले बीते जनवरी माह के ही एक महीने के आंकड़ें ले तो पता चलता है कि महिला अपराध के तहत वर्ष- 2०18 के जनवरी माह में 2 हत्या, 7 बलात्कार, 35 शीलभंग, 34 अपहरण, 2 छेड़छाड़, 69 महिला उत्पीड़न, 4 चेन स्नेचिग, 7 पर्स स्नेचिग, 1 दहेज हत्या की घटनाएं हुईं।
जबकि महिला उत्पीड़न के मामलों के तहत वर्ष- 2०18 के जनवरी माह में 2 हत्या, 16 बलात्कार, 32 शीलभंग, 43 अपहरण, 2 छेड़छाड़, 52 महिला उत्पीड़न, 11 चेन स्नेचिग, 9 पर्स स्नेचिग, 1 दहेज हत्या की घटनाएं हुईं। योगी सरकार के अपराध के जो आंकड़े हैं वह उनके मंसूबों पर पलीता लगाते दिख रहे हैं। ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्री उसके लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अपने अधिकारियों के सामने बेहद सख्त रवैया अपना रहे हैं।
आपराधिक मामला सामने आने पर त्वरित कार्रवाई जरूर कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों को फटकार और चेतावनी भी मिल रही है। लेकिन सरकार को देखना होगा कि जिस रणनीति से वह चल रही है वह आधी आबादी के लिए बेहद मुसीबत बन रही है। ऐसे में आधी आबादी की सुरक्षा करना सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। सरकार को दिखाना होगा कि सिर्फ सख्त रवैये से ही कानून-व्यवस्था नहीं सुधर सकेगी बल्कि उसके लिए बेहद कारगर रणनीति बनानी होगी। ताकि आधी आबादी भी सबका साथ सबका विकास का अनुभव कर सके।