नई दिल्ली। FIR यानी फर्स्ट इंफोर्मेशन रिपोर्ट, जो सीआरपीसी की धारा 154 के आता है. अब FIR को लेकर नया मामला सुर्खियों में है. लॉ कमीशन ने सरकार से राय मांगी है कि क्या आम लोगों को ऑनलाइन FIR दर्ज करने का अधिकार दिया जाना चाहिए या नहीं. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने के क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं.
नुकसान
– कई लोगों को पुलिस के सामने झूठ बोलने में दिक्कत होती है अगर हम इसको ऑनलाइन करेंगे तो झूठ बोलने में आसानी होगी और गलत आरोप लगा सकते हैं.
– कोई भी ऑनलाइन FIR का सहारा लेकर किसी की इमेज खराब कर सकता है.
– उन लोगों के लिए ये तरीका कारगर नहीं है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, दूर दराज इलाकों में रहते हैं या इंटरनेट की समझ नहीं है
– अगर सभी लोग ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने लगें तो FIR की संख्या में बाढ़ आ सकती है.
– ऐसा माना जाता है कि भारत में जितने लोग FIR करवाते हैं, उनमें 10 प्रतिशत लोग फेक केस करते हैं, ऐसे में ऑनलाइन से मुश्किल बढ़ सकती है
-ऑनलाइन एफआईआर से पॉलिटिकल विरोधी और दूसरी विरोधी जातियों के खिलाफ केस करना आसान हो जाएगा
फायदे
– ऑनलाइन एफआईआर की मदद से लोग आसानी से केस दर्ज कर सकेंगे
– पुलिस के टालमटोल और इनकार से बच जाएंगे
– अक्सर लोगों को पुलिस के पास जाने में असहजता और डरा हुआ महसूस करते हैं. जिसके बाद उन्हें ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने में काफी आसानी होगी.
– महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखते हुए, ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाना महिलाओं के लिए काफी आसान हो जाएगा.
जमीनी स्तर: कानून आयोग फिलहाल इसपर गृह मंत्रालय से बात कर रहा है जहां ये कहा जा रहा है कि एफआईआर को ऑनलाइन दर्ज करवाया जा सकता है. वहीं ये भी बताया जाएगा कि इसे कैसे करना है. आईपीसी के सेक्शन 182 के तहत फेक एफआईआर के मामले में कहा जा रहा इसमें नया कानून बनना चाहिए जहां फेक केस दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को 5 साल की सजा होनी चाहिए. वहीं सीआरपीसी के सेक्शन 154 के तहत इसमें कुछ बदलाव करना भी बाकी है.