कानपुर। नकली नोटों पर अंकुश लगाने, काला धन बाहर निकालने के लिए नोटबंदी प्रक्रिया के चलते सरकार पर सवाल तो पिछले साल से ही उठ रहे थे, भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को पूरे देश भर की जारी वार्षिक रिपोर्ट में नकली नोटों पर अंकुश का मामला भी धराशायी होता नजर आ रहा है। नए नोटों में नकली नोटों की संख्या तेजी से बढ़ी ही है, पिछले सालों के मुकाबले देश में वर्ष 2017-18 के वित्तीय वर्ष में छोटे मूल्य वर्ग के नकली नोट भी बेतहाशा बढ़े हैं। हालांकि आरबीआइ ने इस वर्ष नए नोटों में नए सुरक्षा फीचर का हवाला दिया है लेकिन नकली नोटों में नए मूल्य वर्ग की संख्या वृद्धि डरा रही है। दो हजार रुपये मूल्य वर्ग में नकली नोटों की संख्या में 28 गुना इजाफा हुआ है तो 500 रुपये के मूल्य वर्ग में करीब 50 गुना।
मूल्य वर्ग 2016 2017 2018
50 6453 9222 23447
100 221447 177195 239182
200 – – 79
500 – 199 9892
2000 – 638 17229
37 फीसद नकली नोट ही पकड़े जा सके
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को पूरे देश की वार्षिक रिपोर्ट पेश की। आरबीआइ के आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के बाद नए नोटों के मूल्य वर्ग में नकली नोटों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसमें बैंकों का सिस्टम करीब 37 फीसद नकली नोट ही पकड़ सका है, बाकी आरबीआइ ने पकड़े हैं। हालांकि पहले बैंकों में केवल चार-पांच फीसद ही नकली नोट पकड़े जाते थे। खास बात यह है कि इस आंकड़े में पुलिस के पास जब्त नकली नोटों की संख्या शामिल नहीं है।
राशि का विवरण
- मार्च 2016 के मुकाबले मार्च 2018 तक 1.62 लाख करोड़ रुपये अधिक थे प्रचलन में
- मार्च 2017 के मुकाबले मार्च 2018 में पांच लाख करोड़ रुपये अधिक प्रचलन में
- बड़े मूल्य वर्ग (दो हजार और पांच सौ) का हिस्सा कुल मुद्रा का 80 फीसद
- इस वर्ष 10, 50 और 200 रुपये नए नोट जारी हुए
- बीते वित्तीय वर्ष में 600 करोड़ रुपये के नए सिक्के जारी हुए
- पूरी तरह भारतीय नोट तैयार करने में सफलता हासिल की