नई दिल्ली। कृष्ण जन्माष्टमी इस बार दो दिन पड़ रही है. रविवार 2 सितंबर रात 8 बजकर 48 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है और ये 3 सितंबर को अष्टमी तिथि 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए इस बार लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि व्रत पूजन किस दिन होगा. पंडितों की मानें तो कन्हा का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि वृष लग्न में हुआ था. यह संयोग इस बार 2 सितंबर को बन रहा है. इसलिए व्रत और पूजा इस दिन करना अच्छा रहेगा. उदयातिथि के विचार की तुलना में तिथि नक्षत्र और लग्न का संयोग अधिक महत्वपूर्ण है.
कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल 2 सितंबर रात 8 बजकर 46 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होकर और 3 सितंबर को अष्टमी तिथि 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 2 सितंबर को रात 8 बजकर 48 से होगा और 3 सितंबर की रात 8 बजकर 08 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा.
क्यों मानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी
भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को धरती पर आठवां अवतार लिया था. भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी और जन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी दो अलग-अलग दिनों पर होती है. पहले दिन वाली जन्माष्टमी मंदिरों और बाह्मणों के यहां मनाई जाती है और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.
जन्माष्टमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग
रविवार 2 सितंबर रात 8 बजकर 48 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो इसी के साथ सूर्य सिंह राशि में और चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण जयंती योग बनता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बहुत ही भाग्यशाली माने जाते हैं.