चेबरकुल। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने पहली बार एक साथ किसी सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया. अभ्यास रूस में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत शुक्रवार को शुरू हुआ था, जो 29 अगस्त तक चला. इसमें एससीओ के सदस्य देश रूस, चीन, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान शामिल रहे. गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान को पिछले साल जून में इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया था. जानकारी के मुताबिक इस सैन्य अभ्यास के दौरान हिन्दुस्तानी सैनिकों की जमकर चर्चा हुई. चाहे वह युद्ध कौशल हो या फिर पाक कला. एक ओर जहां भारत इस अभ्यास में चीन और पाकिस्तान को पछाड़ते हुए दूसरे नंबर पर रहा तो वहीं दूसरी ओर उसके जायकेदार खाने के लिए भी लंबी-लंबी लाइन लगी रही.
दूसरे नंबर पर रहा भारत
Russia में चल रहा ये युद्ध अभ्यास ख़त्म हो चुका है और अंतिम दिन जितनी भी War Exercise हुईं, उनमें Russia के बाद भारतीय सैनिकों का दबदबा देखने को मिला. पूरे युद्ध अभ्यास के दौरान Russia के बाद भारत के सैनिकों ने सबसे अच्छा Perform किया. जबकि पाकिस्तान के सैनिक इस युद्ध अभ्यास में छठे स्थान पर आए. चीन भी इस अभ्यास में भारत से पीछे ही रहा. इस युद्ध अभ्यास में Russia पहले नंबर पर रहा और भारत दूसरे नंबर पर रहा. ये सब इसलिए मुमकिन हुआ, क्योंकि, भारत ने SCO वाली कूटनीति में कठोर से कठोर बात कहने के लिए, सभ्य तरीकों का इस्तेमाल किया.
भारतीय मेहमाननवाजी ने जीता सबका दिल
रूस के SCO में सैन्य अभ्यास के लिए हिस्सा लेने गए भारतीय सैनिकों ने एक संगीतमय रात का भी आयोजन किया था जिसने पूरे माहौल को हिन्दुस्तानी रंग में रंग दिया था. जिसमें जलेबी की मिठास थी, भारत का नमक था और भारतीय पकवानों का मसालेदार स्वाद था. इसके अलावा लाल रंग का टीका था, राजस्थानी साफा और हिन्दुस्तानी संगीत की धुनों वाला हथियार भी था. इस मंच से भारत ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि उसका दिल बहुत बड़ा है. और भारत के इसी बड़प्पन ने Shanghai Co-operation Organization के सदस्य देशों का दिल जीत लिया है.
पाकिस्तानी सैनिकों ने भी खाया भारत का ‘नमक’
जमीन भले ही रूस की रही हो लेकिन मेहमान नवाजी हिन्दुस्तानी परंपरा के साथ ही हुई. वहां लोगों के स्वागत में उनकी आरती भी उतारी गई और टीका भी लगाया गया. यानि सबकुछ अतिथि देवो भव की संस्कृति के मुताबिक ही हुआ. रूस के चेबरकुल मिलिट्री रेंज में जब भारतीय सैन्य दल की तरफ से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. तो ऐसा लग रहा था मानो ये कार्यक्रम रूस में नहीं बल्कि दिल्ली या मुंबई में हो रहा हो. पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत का ‘नमक’ खाया और हर वो काम किया जो करने से पहले वो सौ बार सोचते. लेकिन भारत की सभ्यता की बात ही कुछ और है, हम तो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं और वसुधैव कुटुंबकम की यही सोच हमें दुनिया के बाकी देशों से अलग भी करती है.
भारतीय खाने के लिए लगी रहती थी लाइन
भारतीय सैनिकों ने जी मीडिया से बातचीत के दौरान माना कि यही एक मौका था जब आप दुनिया को भारत की पहचान करा सकते थे. उन्होंने यह भी कहा कि सबके लिए खाने की व्यवस्था करने में हमें थोड़ी मेहनत ज्यादा करनी पड़ी लेकिन अच्छा लगा. उन्होंने यह भी बताया कि उनके खाने के दौरान विदेशी साथियों की भीड़ लगी रहती थी क्योंकि सबको मसालेदार खाने का स्वाद लग चुका था.
भाषण में दिखा दोस्ती का पैगाम
पेट पूजा खत्म होने के बाद बारी थी भारी भरकम भाषण और स्पीच की. लेकिन माहौल ऐसा था जिसमें भाषण नहीं बल्कि हल्की-फुल्की बातें ही की जा सकती थीं. और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही. भारतीय सैन्य दल के मुखिया की बातों में दोस्ती की मिठास थी. उन्होंने साफ कहा कि जिस तरह एससीओर बड़ा हुआ हम सभी हमेशा के लिए दोस्त बन गए. और जब पाकिस्तान के सैनिकों को लीड करने वाले की बारी आई तो उसने भी सबसे पहले भारत की रेजीमेंट से यही पूछा कि ‘उर्दू आती है या नहीं’.
अंत में गूंजा भारत माता की जय का नारा
यही नहीं रूस की धरती पर हर कोई भारत के संगीत की धुनों पर थिरकता हुआ नजर आया. शब्द भले ही सभी को समझ नहीं आ रहे थे लेकिन सब माहौल में रम चुके थे. रूस, चीन, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, किरगिस्तान, तजिकिस्तान, पाकिस्तान और खुद भारत के सैनिक बिल्कुल खो से गए थे. रूस के चेबरकुल मिलिट्री रेंज के चारों तरफ भांगड़ा हो रहा था. क्या हिन्दुस्तानी, क्या पाकिस्तानी और क्या दूसरे देशों के सैनिक हर कोई सिर्फ इस पल को जी लेना चाहता था. इस फिल्म का क्लाइमेक्स तो सबसे अंत में दिखाई दिया जब हिन्दुस्तानी संगीत की धुनों की जगह भारत माता की जय और वंदे मातरम की गूंज ने ले ली.
अंतिम दिन भारत ने दिखाया अपना युद्ध कौशल
संगीतमय रात के बाद युद्ध अभ्यास के आखिरी दिन भी SCO के सदस्य देशों ने हैरान कर देने वाली Exercises कीं और अंत में SCO के Peace Mission युद्ध अभ्यास के हर मोर्चे पर अपना परचम लहरा कर रूस और भारत के सैन्य दलों ने साबित कर दिया कि क्षेत्रीय दल के दो सबसे बड़े योद्धा वही हैं.