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शिवपाल यादव, समाजवादी और सेक्‍युलरिज्‍म का यूपी में नया सियासी कॉकटेल

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 की सुगबुगाहट के बीच समाजवादी पार्टी में बीते दो सालों से उपेक्षा का शिकार हो रहे शिवपाल सिंह यादव ने राजनीति में अपनी नई भूमिका तलाशनी शुरू कर दी है. अपनी नई भूमिका को मजबूत आधार देने के लिए शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्‍युलर मोर्चा बनाने के संकेत दिए हैं. इस मोर्चे में उन नेताओं को नया प्‍लेटफार्म देने की बात कही जा रही है, जो उनकी तरह समाजवादी पार्टी की उपेक्षा का शिकार हुए हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान राजनैतिक उठापटक की संभावनाओं के बीच अपनी भूमिका को निर्णायक साबित करने के लिए उन्‍होंने अपने मोर्चे के साथ धर्मनिरपेक्ष दलों को जोड़ने की बात भी कही है. इस सब के बीच सबसे महत्‍वपूर्व बात यह है कि शिवपाल सिंह यादव अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का साथ देने के नाम पर समाजवादी पार्टी में भी बने रहना चाहते हैं.

सूबे का दौरा कर तैयार कर रहे हैं नया जनाधार
समाजवादी पार्टी में कभी मुलायम सिंह यादव के बाद सबसे अधिक प्रभावशाली नेता के तौर पर शिवपाल सिंह यादव की गिनती होती थी. शिवपाल‍ का व्‍यक्तिगत तौर पर सबसे अधिक प्रभाव इटावा और उसके समीपवर्ती इलाकों में था. अब नई पार्टी की सुगबुगाहट के बीच उन्होंने अपने समाजवादी सेक्‍युलर मोर्चे के लिए जनाधार खड़ा करना शुरू कर दिया है. शिवपाल के अनुसार, उन्‍होंने पूर्वी उत्‍तर प्रदेश का दौरा हाल में पूरा किया है. इस दौरे में उन्‍होंने वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, देवरिया, गोरखपुर और आजमगढ़ में अपने नए मोर्चे के लिए जनाधार तैयार किया है. अब उनकी योजना उत्‍तर प्रदेश के शेष इलाकों में दौरा करने की है.

लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्‍छा रखते हैं शिवपाल
समाजवादी पार्टी 4 अक्‍टूबर, 2018 को अपना 26वें साल का सफर पूरा करने जा रही है. 26 साल के इस सफर में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाया. इस दौरान समाजवादी पार्टी ने कई बार देश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाई है. पार्टी की लगभग पूरी कमान हाथ में होने के बावजूद शिवपाल सिंह यादव ने कभी केंद्र की राजनीति में दिलचस्‍पी नहीं दिखाई. वे हमेशा उत्‍तर प्रदेश की राजनीति तक सीमित रहे हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. वे भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि उन्‍होंने अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगे.

समाजवादी पार्टी में शिवपाल सिंह यादव का दर्द
मुलायम सिंह यादव के परिवार में बीते दो साल पहले आई दरार किसी से छिपी नहीं है. बीच में मीडिया के सामने सबकुछ ठीक होने का दावा करने के बावजूद शिवपाल का दर्द रह-रह कर छलक पड़ता है. उनका यह दर्द कई मुद्दों को लेकर है. जिसमें एक मुद्दा खुद की उपेक्षा भी है. शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि बीते डेढ़ साल में मुझे पार्टी से साइडलाइन कर दिया गया है. हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि अब उन्‍हें पार्टी के कार्यक्रमों में भी बुलाना बंद कर दिया गया है. वहीं लोकसभा सीट पर उनकी पसंद को लेकर शिवपाल का कहना था कि सपा में टिकट का फैसला अब मेरे हाथ में नहीं है.

अखिलेश को चाचा शिवपाल सिंह यादव की नसीहत
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन की कोशिशों पर शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे और वर्तमान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को नसीहत दी है. उन्‍होंने अपने संदेश में कहा है कि अखिलेश को गठबंधन से पहले अपना घर व्‍यवस्थित करने की जरूरत है. वहीं मुलायम सिंह यादव को लेकर शिवपाल का कहना है कि उन्‍होंने नेताजी के मार्गदर्शन में पार्टी के लिए अपने जीवन के 40 साल खपाए हैं. भले ही, नई पीढ़ी ने उन्‍हें नजरअंदाज कर दिया हो, लेकिन वह आज भी नेता जी के साथ खड़े हैं.

समाजवादी पार्टी से अलग नहीं होना चाहते शिवपाल
अपनी नई राजनैतिक भूमिका और नई पार्टी के गठन के बीच शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी में भी बने रहना चाहते हैं. इस बाबत उनका कहना है कि उन्‍होंने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के नेतृत्‍व में पार्टी को अपने चार दशक दिए हैं. आज भी मैं नेता जी के साथ खड़ा हूं. उन्‍होंने पूर्व में मुझे जो जिम्‍मेदारियां दी, उसे मैंने बखूबी निभाया है, भविष्‍य में उनके निर्देशों का पालन करता रहूंगा. ऐसे में समाजवादी पार्टी से अलग होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता है. मैं पूर्व की भांति समाजवादी नेताओं और नेता जी के साथ पार्टी के लिए काम करता रहूंगा.

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