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यूनिवर्सिटी की तीसरी मंजिल पर चढ़कर ‘वीरू’ बोला- डॉ. जयमाला को हटाओ, नहीं तो कूद जाऊंगा

मेरठ। मेरठ के चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय में गुरुवार हुए हाई वोल्टेज ड्रामे में एक छात्र विश्वविद्यालय की तीसरी मंजिल पर चढ़ गया. ‘शोले के वीरू’ के अंदाज में उसने अपनी एक टांग दीवार की दूसरी ओर रखी और चिल्लाना शुरू कर दिया कि उसकी डीन को पद से हटाओ, नहीं तो वह यहीं से कूदकर जान दे देगा. घंटे भर बाद उसके साथियों ने उसे किसी तरह नीचे उतारा. तब तक पुलिस और फायरब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंच चुकी थी.

जर्नलिज्म का छात्र बीटेक में चाहता है एडमीशन

विश्वविद्यालय के छात्र कई दिनों से विश्वविद्यालय परिसर के सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज की डीन डॉ. जयमाला को हटाने की मांग कर रहे हैं. आरोप है कि डीन का रवैया तानाशाह वाला है और वह छात्रों का उत्पीड़न कर रही है. छात्रों के ऊपर दो सौ रूपये की लेटफीस थोप दी गई है और बैकपेपर वाले छात्रों को अगले क्लास में जाने के लिए परमीशन नहीं दी जा रही है. इन मुद्दों को लेकर आरएलडी और एसपी छात्र विंग के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने कुलपति के ऑफिस के सामने बैठकर घंटों प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. इसी दौरान बीजेएमसी फर्स्ट ईअर का अभिषेक विश्वविद्यालय की सुरक्षा को धता बताकर तीसरी मंजिल पर चढ़ गया था. डॉ. जयमाला के अनुसार- अभिषेक बीजेएमसी का छात्र है और बी-टेक में ट्रांसफर के लिए दबाब बना रहा है.

सियासी सूखे में आ गये चुनाव, मुद्दे की है तलाश

प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद विश्वविद्यालय की पढ़ाई और एडमीशन की ढर्रा अब पटरी पर आ रहा है. इस सेशन में तय वक्त पर एडमीशन की प्रक्रिया शुरू की गई और तकरीबन सही वक्त पर एडमीशन पूरे कर लिए गये. सरकार की निगरानी के बाद विश्वविद्यालय में अनियमितताऐं भी कम हुई है. ऐसे में अक्टूबर से दिसंबर के बीच होने वाले छात्रसंघ के चुनावों में अपनी राजनीतिक कैरियर संवारने का सपना देख रहे छात्र नेताओं को मुद्दों के अकाल पड़ गये है. आज हुए प्रदर्शन में आरएलडी, एसपी और एबीवीपी के नेता अलग-अलग घेरे बनाकर प्रदर्शन कर रहे थे. दिलचस्प बात यह थी कि सबके मुद्दे एक थे.

आखिर डॉ. जयमाला ही क्यों है निशाने पर

कड़े प्रशासनिक रवैये के लिए विश्वविद्यालय में पहचान बना चुकी डॉ0.जयमाला गणित विभाग की एचओडी है. साथ ही सर छोटूराम इंजीनियरिंग कालेज की डीन की कुर्सी का जिम्मा भी उन्हीं पर है. डॉ. जयमाला के मुताबिक किसी भी छात्रनेता के पास वाजिब वजह नहीं है. नए एडमीशन वाले करीब 300 छात्र और पुराने एडमीशऩ वाले करीब 200 छात्रों ने अपनी फीस जमा नहीं की है. यह फीस प्रति छात्र के लिहाज से लाखों में है. ऐसे में विश्वविद्यालय की सेल्फ फाइनेंस यूनिट को चलाना बेहद मुश्किल है और इसी वजह से अगले क्लास में छात्रों को शिफ्ट नहीं किया जा रहा है. फीस न देने वाले छात्रों को अब तक 5 मौके दिये जा चुके है. दबाब बनाने के लिए विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक 200 रूपये लेटफीस लागू की गई है. सेमेस्टर के एक्जाम भी कराने है जिनमें छात्रनेता रोड़ा अड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

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