काठमांडू। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए एक सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला बनाने के लिए कवायाद शुरू की थी. जिसका उद्घाटन आज 14 साल बाद नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं. पीएम मोदी काठमांडू में पशुपतिनाथ धाम के करीब बनी भारत-नेपाल मैत्री धर्मशाला का 31 अगस्त की शाम उद्घाटन करेंगे. साथ ही मोदी भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन भी करेंगे.
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में पशुपतिनाथ एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट के सचिव डॉक्टर प्रदीप ढकाल ने कहा, ”पीएम मोदी 31 अगस्त की शाम इस धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे, जिसे दो साल के वक्त में तैयार किया गया है. इसके साथ ही पीएम मोदी पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन भी करेंगे जिसके लिए हम सभी जरूरी तैयारियां कर रहे हैं. उनके जैसे खास मेहमान जब भी आएं उनका स्वागत है और उनके लिए जो भी आवश्यक होगा वो हम करेंगे.” कार्यक्रम में उनके साथ नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी मौजूद होंगे.
बंगाल की खाड़ी से सटे मुल्कों को सहयोग संगठन बिमस्टैक के शिखर सम्मेलन में शिरकत के लिए पीएम मोदी 30 और 31 अगस्त को काठमांडू में है. कूटनीतिक कार्यक्रम पूरा करने के बाद पीएम मोदी पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे साथ ही एक एक सभा को भी संबोधित करेंगे.
धर्मशाला में मोदी और ओली के लिए भी कमरा
उद्धाटन कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने के लिए एबीपी न्य़ूज की टीम पहुंची तो हमने पाया कि धर्मशाला भवन में पीएम मोदी और नेपाली प्रधानमंत्री ओली के लिए भी दो कमरे रखे गए हैं. तैयारियों की निगरानी कर रहे निर्माण कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर श्याम चंद्र श्रेष्ठ ने बाताया कि कमरा नंबर 104 को पीएम मोदी के लिए तैयार किया गया है जिसमें यदि वो कुछ देर रुकना चाहें तो उनके मुताबिक सुविधाएं व जलपान की व्यवस्था रखी गई है.
बीते तीन महीने में यह दूसरा मौका होगा की काशी विश्वनाथ की नगरी का प्रतिनिधित्व करने वाले पीएम मोदी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचेंगे. इससे पहले 12 मई 2018 को भी उन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की थी. वहीं प्रधानमंत्री बनने के बाद नवंबर 2014 में हुई अपनी पहली नेपात यात्रा में मोदी ने जहां पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए थे वहीं पशुपतिनाथ क्षेत्र में धर्मशाला के लिए करीब 25 करोड़ रुपये देने का भी ऐलान किया था.
संकल्प से सिद्धि तक पहुंचने में लगे 14 बरस
भारत की मदद से इस धर्मशाला के निर्माण की प्रक्रिया यूं तो बीते करीब डेढ़ दशक से चल रही थी. मार्च 2004 में इस धर्मशाला के निर्माण के लिए भारतीय दूतावास और पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र का प्रबंधन करने वाले पीएडीटी के बीच समझौता हुआ था. हालांकि बाद के सालों में भारत-नेपाल रिश्तों में आती रही दिक्कतों के बीच इसके निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ सका. काठमांडू के तिलगंगा इलाके में धर्मशाला बनाने के लिए फरवरी 2008 में शिलान्यास तो किया गया मगर निर्माण का काम जुलाई 2016 के बाद ही शुरु हो पाया.
पारंपरिक नेपाली स्थापत्य का नया नूमना
धर्मशाला की इमारत का निर्माण करने वाली रमन कंस्ट्रक्शन के प्रजेक्ट मैनेजर श्याम चंद्र श्रेष्ठ बताते हैं कि प्रधानमंदी की ओर से इसे उद्घाटन की तारीख तय होने के बाद बीते एक महीने में युद्धस्तर पर काम कर इसे तैयार किया गया. पारंपरिक नेपाली स्थापत्य की दाछी पेटा शैली के नए नमूने के रूप में इसे तैयार करने पर भी खास मेहनत की गई. इस शैली की इतनी बड़ी इमारत काठमांडू में नहीं है. धर्मशाला के लिए खास तौर पर तेलिया ईंटों को मंगवाया गया. तीन तल वाले इस भवन के निर्माण में 22 करोड़ नेपाली रुपये से ज्यादा खर्च हुए.
अटल के नाम पर रखने का भी था प्रस्ताव
द्विपक्षीय संबंधों की नई मिसाल के तौर पर बनाई गई धर्मशाला के निर्माण की कवायद से जुड़े सूत्रों बताते हैं कि इसका नाम भारत-नेपाल मैत्री अटल धर्मशाला रखने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया था. हालांकि बाद में धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए इसका नाम मैत्री धर्मशाला ही रखने का फैसला किया गया.
79 कमरों वाली धर्मशाला में होंगी कई सुविधाएं
पारंपरिक नेपाली स्थापत्य शैली की झलक और आधुनिक सुविधाओं वाली इस धर्मशाला में 79 कमरे बनाए गए हैं जिसमें 398 बिस्तर होंगे. इसमें वीआईपी निवास के लिए कुछ कमरे हैं तो वहीं दो, चार बिस्तर वाले कमरों के अलावा 10 व 12 बेड वाले डोरमैट्री रूम भी हैं जिसमें एक साथ कई लोग ठहर सकते हैं. शॉपिंग रूम, भोजन के लिए विशाल डाइनिंग हॉल, शाकाहारी भोजन, के साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए सोलर वॉटर हीटर भी लगाए गए हैं.