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अर्बन नक्सल पर नया खुलासा: साजिश रचने के लिए शीर्ष माओवादी नेताओं ने म्यांमार में की थी मीटिंग

नई दिल्ली। अर्बन नक्सल मामले में पुणे पुलिस द्वारा इसी साल जून के महीने में की गई गिरफ्तारियों के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में से एक और सनसनीखेज बात सामने आई है. जो बताती है कि देश के खिलाफ नक्सलवादियों का यह अभियान किस कदर खतरनाक था. सूत्रों के मुताबिक ताजा दस्तावेज यह साबित करने के लिए काफी है कि यह माओवादियों का अब तक का सबसे बड़ा षड्यंत्र था. आपको बता दें कि जी मीडिया के हाथ जो जानकारी लगी है वह बताती है कि देश के खिलाफ साजिश रचते-रचते इन्होंने आतंकवादी संगठनों से भी हाथ मिलाने से गुरेज नहीं की.

दस्तावेजों ने खोले नए राज
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये जानकारी जब खुफिया एजेंसियों के साथ शेयर की गईं तो उनकी जांच में तमाम नई बातें सामने आईं. ये बातें चौंकाने वाली हैं कि भारत में रह रहे लोग ही कैसे भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे और देश के दुश्मनों से हाथ मिलाकर देश विरोधी गतिविधियां चला रहे थे.

ये बातें आईं सामने
– शीर्ष माओवादी नेताओं ने हाल ही में म्यांमार में एक मीटिंग आयोजित की थी, जहां उन्होंने अन्य प्रतिबंधित संगठनों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाए.
– इस बैठक में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी संगठनों के नेता मौजूद थे.
– इस बैठक में, उन्होंने राष्ट्र के खिलाफ युद्ध चलाने और शहरी संयुक्त मोर्चा (अर्बन युनाइटेड फ्रंट) बनाने के इरादे से संयुक्त रूप से एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए.
– इस मीटिंग में पीएलए कमांडर सीपीआई (माओवादी) के युवा सदस्यों को ट्रेनिंग और हथियार प्रदान करने पर सहमत हुए.

इन दो जगहों पर दी जानी थी ट्रेनिंग
मीटिंग में ट्रेनिंग के लिए मुख्य रूप से 2 स्थानों को चयनित किया गया. जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के जंगली क्षेत्र और गढ़चिरौली में एक अन्य स्थान को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए चुना गया था. इन प्रशिक्षणों में गोरिल्ला युद्ध, विद्रोह और शहरी युद्ध शामिल हैं.

हथियार लाने के लिए तय किए गए थे तीन रास्ते
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में उन्होंने नदी मार्गों के माध्यम से हथियार उपलब्ध कराने की भी योजना बनाई थी. नेपाल या म्यांमार से भारत में हथियार लाने के लिए नदी के करीब 3 मार्गों की पहचान की गई थी.

कामरेड आनंद को लिखी चिट्ठी में हुए हैं ये खुलासे
इस बैठक में पीएलए और सीपीआई (एम) के बीच कुछ हथियार सौदे को भी अंतिम रूप दिया गया था. इसके लिए बजट सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के कामरेड वी.वी. द्वारा अनुमोदित किया गया था. जिस चिट्ठी से यह सारे सनसनीखेज खुलासे हुए हैं
सूत्रों का कहना है कि वह असम के कामरेड प्रकाश उर्फ रितुपम गोस्वामी द्वारा कामरेड आनंद को संबोधित किया गया है. ये लोग इस मामले में अभी भी वांटेड हैं. एजेंसियों को संदेह है कि कामरेड आनंद कटकाम सुदर्शन के अलावा कोई और नहीं है जो पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का नेतृत्व कर रहा था. जो झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में पार्टी की गतिविधियों की देखभाल करता है.

खुफिया एजेंसी और पुणे पुलिस कर रही है बाकियों की तलाश
खुफिया एजेंसियां और पुणे पुलिस अब और अधिक लिंक की जांच कर रही है और हाल ही में गठित शहरी संयुक्त मोर्चा (अर्बन युनाइटेड फ्रंट) से जुड़े अधिक सदस्यों की तलाश कर रही है. गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने हाल ही में 6 राज्यों में 8 शहरों पर छापा मारा था और 5 गिरफ्तारियां की थीं. हालांकि उन सभी को शीर्ष अदालत ने हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया था.

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