नई दिल्ली। एक बाबा के प्रभाव में रहे रैनबैक्सी के सिंह बंधु एक दशक से भी कम समय में करीब 22,500 करोड़ रुपये गंवा चुके हैं. अब पैसे के इस खेल में दोनों भाइयों में आपस ही झगड़ा शुरू हो गया है. शिविंदर सिंह ने अपने बड़े भाई मलविंदर और रेलिगेयर के पूर्व सीईओ सुनील गोधवानी को अदालत में घसीट लिया है.
शिविंदर ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में दायर मुकदमे में दोनों पर दमन करने और आरएचसी होल्डिंग के कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. इस तरह से ऐसा लगता है कि भारत के कॉरपोरेट जगत में एक और फैमिली वार शुरू होने जा रहा है.
शिविंदर सिंह ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि वह अपने भाई से अलग होकर अपना अलग रास्ता पकड़ने जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मलविंदर और गोधवानी ने लगातार उनकी कंपनियों और शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाया. गौरतलब है कि गोधवानी भी सिंह परिवार का करीबी रहा है और एक समय तो उसे सिंह बंधुओं का ‘तीसरा भाई’ तक माना जाता रहा है.
सिंह ने कहा कि वह काफी समय से इस कदम को उठाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन इस उम्मीद में अब तक चुप बैठे रहे कि हालात बेहतर होंगे और परिवारिक कारोबार के ‘गौरवशाली इतिहास’ में कोई कड़वा अध्याय नहीं आएगा.
शिविंदर ने कहा कि वह उन गतिविधियों का हिस्सा नहीं बन सकते, जिनमें पारदर्शिता और सदाचार का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है.
गौरतलब है कि कभी देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी रैनबैक्सी के मालिक रहे सिंह बंधुओं के परिवार में पंजाब के एक संत का काफी असर है. साल 2008 में जब उन्होंने अपनी कंपनी रैनबैक्सी को बेचा था तो उनके पास 9,576 करोड़ रुपये की नकदी थी. लेकिन एक दशक के भीतर ही उनके ऊपर करीब 13,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया.