लखनऊ। राज्य कर्मचारियों की पेंशन खतरे में है। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में 2005 से 2008 के बीच कितनी राशि जमा हुई है। इसका कोई हिसाब नहीं है। जिस अवधि का हिसाब है उसमें भी सरकार का पूरा अंशदान नहीं पहुंचा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में एनपीएस की राशि एक तिहाई से भी कम हो गई। यह तथ्य सामने आए हैं सीएजी की आडिट रिपोर्ट में। शेष राशि का क्या हुआ इसका जवाब इसकी ऑडिट करने वाले अफसरों के पास भी नहीं है।
प्रधान महालेखाकार सरित जफा ने बृहस्पतिवार को प्रेसवार्ता में 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वर्ष की राज्य सरकार की वित्तीय रिपोर्ट की बाबत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एनपीएस के बारे में 2005 से 2008 के बीच कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
2008-09 से 2016-17 के बीच भी कर्मचारी अंशदान 2830 करोड़ रुपये रहा। इसके सापेक्ष राज्य का अंशदान 2247 करोड़ रुपये ही रहा। इस तरह से राज्य का अंशदान 583 करोड़ रुपये कम था। इसमें भी कुल प्राप्त 5660 करोड़ में से 5001.71 करोड़ रुपये ही राष्ट्रीय सुरक्षा (एनएसडीएल) को ट्रांसफर किए गए।
इससे भी कर्मचारियों को भविष्य में नुकसान होगा। सरित जफा ने यह भी बताया कि 2008-09 में मिले 5.03 करोड़ के सापेक्ष वर्ष 2015-16 में 636.51 करोड़ एनपीएस खाते में जमा हुए, लेकिन अगले वर्ष यानी, 2016-17 में यह राशि घटकर 199.24 करोड़ रुपये रह गई।
इस कमी का जवाब पीएजी के पास भी नहीं था। उन्होंने यह बताया कि बड़ी संख्या में कर्मचारियों का एनपीएस नहीं कट रहा। उन्होंने सभी कर्मचारियों की एनपीएस कटौती तथा राज्य का अंशदान सुनिश्चित किए जाने की संस्तुति की है।