नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा केस में गिरफ्तार 5 आरोपियों पर सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते इस केस पर अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि फैसला सुनाए जाने तक पांचों आरोपी नजरबंद रखे जाएंगे. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अपने लिखित दलीलें सोमवार तक कोर्ट में जमा कर दें. इस मामले में हाउस अरेस्ट में चल रहे पांचों आरोपी एक्टिविस्ट के खिलाफ दर्ज FIR रद्द हो या पुलिस जांच जारी रहे, सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला देगा.
महाराष्ट्र सरकार का बड़ा खुलासा- प्रकाश चेतन और साईबाबा एक ही आदमी
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की तरफ से एक बड़ा खुलासा भी किया गया. सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे वकील तुषार मेहता ने दलील दी है कि प्रकाश चेतन और साईबाबा एक ही आदमी के नाम हैं. और वो न केवल हिंदी जानता है बल्कि हिंदी में भाषण भी देता है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने इस बात का भी खुलासा किया है कि प्रकाश के नाम से से लिखी गई चिट्ठियों में कई षड्यंत्रों का जिक्र है. इसके अलावा ERB मीटिंग ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो की मीटिंग का भी जिक्र है. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि आरोपियों से मिले दस्तावेजों में कई जगह ऐसी गंभीर बातें हैं जिन्हें कोर्ट में बोलकर पढ़ना उचित नहीं है. उन्होंने कहा, “आरोपियों के पत्राचार में कई कोड हैं. मसलन LIC … लो इंटेंसिटी कॉम्बैट का जिक्र है.”
महाराष्ट्र सरकार ने कहा- पुख्ता सबूत और जांच के बाद की गई गिरफ्तारी
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में पुख्ता सबूत हैं. FIR में छह लोगों के नाम हैं लेकिन किसी की भी तुरंत गिरफ्तारी नहीं की गई थी. शुरुआती जांच में सबूत सामने आने पर छह जून को एक गिरफ्तारी हुई जिसे कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई. कोरट से सर्च वांरट मांगा था. जांच की निगरानी डीसीपी व सीनियर अधिकारी ने की थी. सीज किए गए कंप्यूटर, लैपटॉप, पेनड्राइव को फोरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया, पूरी सर्च की वीडियोग्राफी करवाई गई. ये लोग सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़े हैं और ये संगठन बैन है.
जब्त दस्तावेजों में मिली थी रोना विल्सन की तस्वीर
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जब्त दस्तावेजों में हमे रोना विल्सन की तस्वीरमिली. उसमें रोना के साथ दिख रहा शख्स छत्तीसगढ़ में 40 लाख और महाराष्ट्र में 50 लाख के इनाम वाला आरोपी है. मेहता ने कहा कि कोर्ट आरोपियों की दलील सुनकर अपना विचार न बनाए. सरकार की भी पूरी बात सुननी चाहिए. जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले को हम समग्र रूप से देखेंगे. साथ ही मामले के शिकायतकर्ता के वकील हरीश सालवे ने कहा कि कानून-व्यवस्था को तोड़ना व अशांति फैलाना सरकार के विचारों के साथ असहमति नहीं बल्कि सोची समझी साजिश है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने भी की सख्त टिप्पणी
वहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा अगर लोगों को किसी प्रभावित क्षेत्र में लोगों का हाल जानने भेजा जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो प्रतिबंधित संगठन के सदस्य हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें सरकार का विरोध और तोड़फोड़ व गड़बड़ी फैलाने वालों के बीच के अंतर को साफतौर पर समझना होगा. इसके साथ ही उन्होंने टिप्पणी की कि हमारी व्यवस्था इतनी मजबूत होनी चाहिए जो विरोध को भी झेल सके. यहां तक कि कोर्ट भी उसमें शामिल है. कयासों के आधार पर हम लिबर्टी का गला नहीं घोट सकते. हम इस केस को पैनी नजर से देख रहे हैं. इससे पहले सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील राजीव धवन ने दलील की कि मामले की निष्पक्षता से जांच हो. पांचों आरोपी सम्मानित व्यक्ति हैं. पुलिस खुद मीडिया के पास जाती है. जनता के बीच सबूतों को पेश कर कहती है और खुद मीडिया ट्रायल करवा रही है. 31.12.17 की बैठक में पांचों आरोपी नहीं थे. जो प्रोग्राम का आयोजन किया गया था उसमें दो रिटायर्ड जज भी थे. कबीर कला मंच कोई फ्रंटियर आर्ग्नीइजेशन नहीं है.
सिंघवी बोले- झूठे सबूत इकट्ठे किए गए
याचिकाकर्ता के मुख्य वकील सिंघवी ने दलील दी कि पांचों आरोपियों के खिलाफ झूठे सबूत इकट्ठे किए गए हैं. महाराष्ट्र पुलिस ने एन साईबाबा के केस में बताया था कि साईबाबा ही कॉमरेड प्रकाश है. साईबाबा तो 2017 से जेल में है ऐसे में ये आरोप लगाना कि प्रधानमंत्री की हत्या के षड्यंत्र से जुड़ी चिट्ठी उसने लिखी है, ये कैसे संभव है. वकील सिंघवी ने कहा कि कामरेड प्रकाश को भेजे गए जिस पत्र की बात कही जा रही है, वह पत्र पूरी तरह से काल्पनिक है. पूर्व में महाराष्ट्र पुलिस ने कहा था कि प्रोफेसर साई बाबा ही कामरेड प्रकाश है. साई बाबा 2007 से जेल में है। ऐसे में पुलिस कैसे कह सकती है कि गिरफ्तार किए गए एक्टिविस्टों ने ही कामरेड प्रकाश को पत्र लिखा. वकील सिंघवी ने कहा कि मामले की दोनों एफआईआर में इन पांचों आरोपियों का नाम नहीं है. उन्होंने 1 जनवरी को आयोजित सम्मेलन में भाग नहीं लिया था. उसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जज ने हिस्सा लिया था. वरवरा राव पर 25 मामले दर्ज हुए. सभी में वह बरी हो गए. वी गोंजाल्विस पर 18 मामले दर्ज हुए, इनमें 17 में वह बरी हुए. एक मामले में अपील लंबित है. सिंघवी ने कहा कि ऐसी बातें कही जा रही हैं कि उक्त आरोपी एक्टिविस्टों का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है. जबकि ऐसा नहीं है.
महाराष्ट्र सरकार ने की थी याचिका खारिज करने की दलील
उधर, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ये याचिका खारिज की जाए क्योंकि यह आपराधिक मामला है. इसमें आरोपी को ही कोर्ट में याचिका दायर करनी होती है लेकिन यहां तीसरे पक्ष ने दायर की है. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा गया कि पकड़े गए लोगों के खिलाफ हमारे पास सुबूत हैं. उनके लेपटॉप, हार्ड डिस्क आदि से सुबूत मिले हैं. सरकार की तरफ से कहा गया कि जो भी दस्तावेज मिले हैं उनकी बाकायदा वीडियो रिकॉर्डिंग हुई है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. महाराष्ट्र सरकार के वकील ASG तुषार मेहता ने याचिका के विरोध में कहा कि यह अनभिज्ञ की याचिका है. इस पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. यह केवल डिसेंट का मामला नहीं है. ऐसा नहीं है इन्हें केवल डिसेंटिंग वॉइस के चलते गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से जो सामग्री बरामद की गई है वह आपत्तिजनक है. जो बताती है कि इनसे शांति व्यवस्था को गंभीर खतरा है.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था हलफनामा
इससे पहले भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि गिरफ्तार किए गए पांचों एक्टिविस्ट समाज में अराजकता फैलाने की योजना बना रहे थे. पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं. राज्य सरकार ने कहा था कि एक्टिविस्ट को उनके सरकार के प्रति अलग सोच या विचारों की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनके खिलाफ पक्के सबूत पुलिस के पास हैं, उन्हें पुलिस हिरासत में दिया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने कहा था कि इस बात के सबूत पुलिस को मिले हैं कि पांचों एक्टिविस्ट प्रतिबंधित आतंकी (माओवादी) संगठन के सदस्य हैं, ये न केवल देश मे हिंसा की योजना बना रहे थे, बल्कि इन्होंने बड़े पैमाने पर देश मे हिंसा और तोड़फोड़ व आगजनी करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी. इससे ये समाज मे अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते थे. इनके खिलाफ गंभीर अपराध का केस बनाया गया है. इनके पास से आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई है. इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि ये सभी प्रतिबंधित माओवादी संगठन CPI (माओवादी) के एक्टिव मेंबर हैं.
पुणे पुलिस ने किया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और रांची में एक साथ छापेमारी कर घंटों तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है.