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तीन तलाक अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, केरल सुन्नी मुस्लिम संस्था ने दी याचिका

नई दिल्ली। तीन तलाक अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.तीन तलाक अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है इसके अलावा यह अध्यादेश अनुच्छेद 123 की शर्तों के खिलाफ है, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस अध्यादेश को रद्द करने का आदेश जारी करे.दरअसल, ये याचिका केरल सुन्नी मुस्लिम संस्था समस्थ केरल जमीयाथुल उलेमा ने दायर की है.

गौरतलब है कि तीन तलाक विधेयक को लोकसभा द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और यह राज्यसभा में लंबित है, जहां बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए के पास बहुमत नहीं है.इस बीच केंद्रीय कैबिनेट ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 में तीन संशोधनों को मंजूरी दी थी. सरकार ने मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक से जुड़े प्रस्तावित कानून में आरोपी को सुनवाई से पहले जमानत देने जैसे कुछ प्रावधानों को मंजूरी दी थी.इस कदम के जरिए कैबिनेट ने उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया था जिसमें एक ही बार में तीन तलाक की परंपरा को अवैध घोषित करने तथा पति को तीन साल तक की सजा देने वाले प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग की बात कही जा रही थी.

क्या है अध्यादेश के मायने
देश के संविधान में अध्यादेश का रास्ता बताया गया है. किसी विधेयक को लागू करने कि लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.संविधान के आर्टिकल 123 के जब संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो राष्ट्रपति केंद्र के आग्रह पर कोई अध्यादेश जारी कर सकते हैं. अध्यादेश सदन के अगले सत्र की समाप्ति के बाद छह हफ्तों तक जारी रह सकता है.जिस विधेयक पर अध्यादेश लाया जाता है, उसे संसद में अगले सत्र में पारित करवाना ही होता है. ऐसा नहीं होने पर राष्ट्रपति इसे दोबारा भी जारी कर सकते हैं.

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