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जावड़ेकर बोले- इतिहास में फेरबदल तो छोड़िए, हमने एक पन्ना तक नहीं बदला

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान इतिहास का एक पन्ना भी नहीं बदला गया है. जावड़ेकर के मुताबिक उनकी फिलॉसफी आगे बढ़ाने के लिए किताबों का सहारा लेने की जरुरत नहीं है, यह सीधे संवाद से होता है. गुरुवार को नई दिल्ली में ‘मेल टुडे’ की ओर से आयोजित ‘एजुकेशन एंड स्किल समिट 2018’ में हिस्सा ले रहे जावड़ेकर ने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में इतिहास को नए सिरे से लिख जा रहा है,

इसी समिट के दौरान जावड़ेकर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, हिंदुत्व में कोई बुराई नहीं है. उनके मुताबिक किसी भी धर्म में कोई बुराई नहीं होती है. जावड़ेकर ने कहा कि ‘जियो और जीने दो सिद्धांत’ भारत के मूल्य हैं. देश के अहम शिक्षण संस्थानों में संघ परिवार के लोगों को नियुक्त किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने हायर लर्निंग सेंटरों पर काबिल लोगों की नियुक्ति की है. हम विजन और लीडरशिप क्वॉलिटी की बुनियाद पर लोगों को चुनते हैं. मोदी सरकार मेरिट की वकालत करती है.

शिक्षा चुनावी मुद्दा नहीं है

समिट में हिस्सा लेते हुए एचआरडी मिनिस्टर ने कहा, ‘मैंने इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरपर्सन अरुण पुरी से चर्चा के दौरान कहा कि इस देश में शिक्षा चुनावी मुद्दा नहीं है. लेकिन प्रधानमंत्री की पहल पर हमने इसे अहमियत दी. शिक्षा व्यवस्था की खामियों की चर्चा करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि 9 वीं क्लास का बच्चा 7 वीं की किताब नहीं पढ़ पाता है.’

स्कूली शिक्षा को बेहतर बना रहे  

स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ‘नेशनल असेस्मेंट सर्वे के तहत हर एक सरकारी स्कूल की मैपिंग करने का फैसला किया गया है. हम टीचरों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.’ स्वयं प्लेटफॉर्म का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ 12 वीं पास 14 लाख नॉन क्वॉलिफाएड टीचरों ने इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराया है.  इस साल के अंत तक ये सभी टीचर प्रशिक्षण हासिल कर लेंगे.

स्वयं प्लेटफॉर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत एनी टाइम लर्निंग, एनी प्लेस लर्निंग और लाइफ लॉन्ग लर्निंग की सुविधा दी गई है. नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी में 1.60 करोड़ किताबें पढ़ी जा सकती हैं. हम क्लासरूम में तकनीक को ला रहे हैं. स्कूलों में साधारण ब्लैकबोर्ड की जगह लाखों डिजिटल ब्लैकबोर्ड लगाए जा रहे हैं ताकि बच्चे नए इनोवेशन को जान सकें. स्पोर्ट्स और फिजिकल एक्टिविटी की अहमियत के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्कूलों में इसका इंतजाम कराया जा रहा है ताकि बच्चों का पूरा विकास हो सके. उनके मुताबिक कई राज्यों में प्राइवेट स्कूल छोड़कर बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने लगे हैं. प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा बेहतर नतीजे केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय दे रहे हैं.

शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं

रोजगार के मुद्दे पर चर्चा करते हुए प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि शिक्षा का एकमात्र मकसद रोजगार हासिल करना नहीं है बल्कि एक बेहतर इंसान बनाना भी है. मैं इस मुद्दे पर कई वर्कशॉप कर चुका हूं. लोगों ने कहा कि हमारा सिलेबस इतना बड़ा है कि हम अन्य बातों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसी वजह से हमने सिलेबस में 50 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है.

कोर्स में बदलाव होगा

हायर एजुकेशन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ‘देश की कई यूनिवर्सिटीज में 10-10 साल से कोर्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं.’ नए सिलेबस की चर्चा करते हुए जावडे़कर ने कहा कि 27 हजार लोगों ने सिलेबस में बदलाव के सुझाव दिए  हैं. इनमें से ज्यादातर लोग टीचर हैं. हम सिलेबस में कटौती कर रहे हैं, उसे बेहतर भी बनाया जाएगा.

पीएम का इनोवेशन पर जोर

एचआरडी मिनिस्टर के मुताबिक, ‘इनोवेशन पर प्रधानमंत्री का बहुत जोर है. इस साल 1.50 लाख इंजीनियर इस साल स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में हिस्सा लेंगे और तमाम समस्याओं का इनोवेटिव हल निकालेंगे. मैं बेहतर इंसान बनाने के अलावा रोजगार के नए मौके बढ़ाना चाहता हूं, लेकिन कोई भी देश इनोवेशन के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है.’ समाज के गरीब तबके की शिक्षा के बारे में उन्होंने कहा कि कोई भी गरीब बच्चा जो प्रतिभाशाली है, वह पैसे की कमी की वजह से शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा.’

देश में चार करोड़ विद्यार्थी

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) की भूमिका से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘आज देश में 900 यूनिवर्सिटी, 40 हजार कॉलेज और चार करोड़ विद्यार्थी हैं. इतनी बड़ी संख्या को रेगुलेट करना आसान नहीं है. रेगुलेटिंग बॉडी (नियामक संस्था), ग्रांट देने वाली संस्था नहीं बन सकती है.

6 आईआईटी रिसर्च पार्क शुरू 

यूनिवर्सिटी में रिसर्च के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के 6 आईआईटी में रिसर्च पार्क शुरू किए गए हैं. ‘उच्चतर अविष्कार योजना’ के तहत 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर रिसर्च किया जा रहा है. जावड़ेकर ने दावा किया कि उनकी सरकार ने चार साल में 20 हजार से ज्यादा स्टार्ट अप शुरू कराए हैं. उनके अनुसार, हम विदेशों से प्रोफेसरों को अपने यहां बुला रहे हैं और आईआईटी जैसी संस्थाओं की फैकल्टी के साथ उनका संवाद करा रहे हैं. हमने बजट से बाहर रिसर्च के लिए फंड का इंतजाम भी किया है. शिक्षा पर खर्च के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इस मद में इस वित्त वर्ष में करीब 1.10 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं.

पैसे से साख नहीं खरीदी जा सकती

हायर एजुकेशन में स्वायत्तता के मुद्दे पर प्राइवेट सेक्टर की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर का बड़ा रोल है, लेकिन उन्हें नियम-कानून का भी ध्यान रखना होगा. किसी भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी को सरकार की ओर से कोई फंड नहीं दिया जाएगा. हाल ही में देश की कुछ संस्थाओं को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ घोषित किया गया था. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पैसे से साख नहीं खरीदी जा सकती है.

ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन

ब्रेन ड्रेन के मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और गूगल में भारतीय काम करते हैं.  लेकिन वे उसकी शुरुआत नहीं करते. हम चाहते हैं कि अच्छे स्टूडेंट देश में रहकर रिसर्च करें और अच्छे प्रॉडक्ट सामने लाएं. वे ओनर्स ऑफ इनोवेशन बनें, ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन हो.

आधार के बिना भी होगा एडमिशन

आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में उन्होंने कहा कि पहले भी बिना आधार के किसी को एडमिशन से रोका नहीं जा सकता था. हम इस पर कानून मंत्रालय से सलाह ले रहे हैं. स्कॉलरशिप को लेकर आधार की आवश्यकता को देखना पड़ेगा.

सरकारी स्कूल अच्छे नतीजे दे रहे हैं 

केंद्रीय विद्यालयों की चर्चा करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जवाहर नवोदय विद्यालय बेहतर नतीजे दे रहे हैं, राज्य सरकारों की ओर से चलाए जा रहे विद्यालयों की भी क्वॉलिटी को भी बेहतर किए जाने पर काम किया जा रहा है. लेकिन सभी प्राइवेट स्कूल अच्छे नहीं है.

लड़कियों की शिक्षा 

स्कूलों में लड़कियों के लिए नए टॉयलेट बनाए जाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘स्वच्छता अभियान, सुगम्य भारत जैसे अभियानों के चलते अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. अब टॉयलेट की कमी की वजह से लड़कियां स्कूलों से दूर नहीं रहेंगी. सैनिटेशन के मुद्दे पर हम ट्रेनिंग दे रहे हैं.  कई स्कूल खुद ऐसी मशीनें लगा रहे हैं, जहां सैनिटरी पैड बनाए जा रहे हैं. हम स्वच्छ भारत जरूर बनाएंगे.’ ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’ अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में 6 से 12 तक लड़कियों को हॉस्टल में रहकर पढ़ने की व्यवस्था की गई है. पहले यह सिर्फ 6 से 8 वीं क्लास तक के लिए था. हमारी कोशिश का नतीजा है कि आईआईटी और एनआईटी में लड़कियों की तादाद दोगुनी हो गई है.

फायदा कमाने के लिए एजुकेशन नहीं

इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरपर्सन अरुण पुरी ने ‘मेल टुडे’ के इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री जावडे़कर से पूछा कि ‘एजुकेशन फॉर प्रॉफिट’ यानी फायदा कमाने के लिए शिक्षा के बारे में उनकी क्या राय है. इस पर जावड़ेकर ने जवाब दिया, ‘आजादी से पहले ही राजनेता स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाने में दिलचस्पी लेने लगे थे. भीमराव अंबेडकर, मदन मोहन मालवीय ने कई संस्थाएं शुरू कीं, जिनका मकसद फायदा कमाना नहीं था. लेकिन प्राइवेट सेक्टर में कई लोग एजुकेशन के जरिए फायदा कमाना चाहते हैं. एजुकेशन फायदा कमाने का जरिया नहीं हो सकती है. प्राइवेट स्कूलों को ज्यादा फीस नहीं लेने चाहिए.’

इससे पहले, इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने ‘एजुकेशन एंड स्किल समिट 2018’ के स्वागत भाषण में कहा कि भारत में हर साल 1 करोड़ नए लोगों को रोजगार की जरुरत होती है. उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के काम की तारीफ की. समिट में हिस्सा लेते हुए एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने इंडिया टुडे ग्रुप को अपनी जिंदगी का हिस्सा बताया. उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन, मेल टुडे के अलावा आजतक और इंडिया टुडे टीवी चैनल की तारीफ की.

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