लखनऊ। पुलिस की तय कार्यशैली के तहत पीड़ित और आरोपी का तुरंत मेडिकल कराना होता है। लेकिन, विवेक तिवारी के हत्यारे सिपाहियों का मेडिकल कराने में पुलिस ने आठ घंटे लगा दिये। घटना शुक्रवार रात 2 बजे हुई जबकि गोमतीनगर पुलिस ने सिपाही प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार का मेडिकल शनिवार सुबह करीब 10 बजे कराया। लोगों का आरोप है कि दोनों सिपाही शराब के नशे में चूर थे। इसलिए पुलिस ने उनका मेडिकल आठ घंटे की देरी से कराया ताकि उनके नशे में होने की पुष्टि न हो सके।
लोगों का यह भी कहना है कि अधिकारी पूरी रात मामले को एनकाउंटर साबित करने की कहानी गढ़ते रहे। इस प्रकरण में विवेक को दोषी साबित करने की थ्योरी एसएसपी कलानिधि नैथानी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में रची जाती रही। इसमें नाकाम रहने पर पुलिस ने शनिवार सुबह सिपाहियों का मेडिकल करवाया। आरोपी सिपाहियों के मुताबिक विवेक ने उन्हें तीन बार गाड़ी से रौंदने की कोशिश की थी। इस दौरान वह गिर गए थे और उनके पास मौजूद सरकारी बाइक क्षतिग्रस्त हो गई।
हैरतंगेज बात यह है कि इन सबके बावजूद दोनों सिपाहियों को एक खरोंच तक नहीं आई। वारदात के बाद दोनों थाने पहुंचे और वहां मौजूद अधिकारियों को अपनी कारस्तानी को वीरता की कहानी बताकर पेश किया। इस दौरान वह बेफिक्र होकर थाने में चहलकदमी करते रहे।
मेडिकल के दौरान दिखा पुलिसिया नाटक
सुबह सिपाहियों के मेडिकल के दौरान गोमतीनगर पुलिस ने किसी फिल्मी सीन की तरह नाटक रचाया। आरोपी सिपाहियों को लेकर लोहिया अस्पताल पहुंचे पुलिस कर्मियों ने उन्हें जीप से गोद में उठाकर इमरजेंसी कक्ष तक इस तरह पहुंचाया। जैसे वह हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए हों और चल फिर नहीं पा रहे हों। जबकि घटना के बाद रात को वह दोनों थाने में आराम से इधर-उधर घूम रहे थे।