नई दिल्ली। क्रूड की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों के बीच देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 5 रुपए तक कमी आने से जनता जरूर राहत महसूस कर रही है, लेकिन विपक्ष शायद इसे पचा नहीं पा रहा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ईंधन कीमतों पर विपक्ष की बयानबाजी पर करारा प्रहार किया है. उन्होंने कहा है कि ट्वीट करने या चैनल पर बाइट दे देने से ईंधन की कीमतों को लेकर आ रही चुनौतियां कम नहीं हो जाएंगी. यह समस्या गंभीर है. तेल उत्पादक देशों ने अपना उत्पादन घटा दिया है, जिससे डिमांड और सप्लाई में गैप आ गया है. भारत 80% क्रूड का आयात करता है. डॉलर के मुकाबले रुपए का कमजोर होना अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार है. रुपए की कमजोरी के कारण तेल के आयात के बदले भारत को कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है.
अमेरिकी प्रतिबंध और राजनीतिक संकट ने बढ़ाई मुश्किल
वित्त मंत्री ने फेसबुक पोस्ट में लिखा-वेनेजुएला और लीबिया के राजनीति संकट से वहां तेल उत्पादन पर विपरित असर पड़ा है. इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर नए प्रतिबंध थोप दिए हैं. इससे ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. शेल गैस की वाणिज्यिक सप्लाई, जो क्रूड की ऊंची कीमतों को संतुलित करती है, समय से पीछे चल रही है. इन सबके कारण आर्थिक मोर्चे पर देश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. यह परिस्थिति राजकोषीय घाटे को बढ़ा सकती है. हालांकि अभी हालात काबू में हैं, लेकिन क्रूड को लेकर जल्द कोई उपाय करना होगा.
26 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है आयात पर
जानकारों का कहना है कि भारत के कच्चे तेल के आयात पर खर्च 2018-19 में 26 अरब डॉलर (करीब 1.82 लाख करोड़ रुपये) ज्यादा हो सकता है, क्योंकि रुपए में रिकॉर्ड गिरावट के कारण विदेश से तेल खरीदने के लिए अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं. भारत ने 2017-18 में 22.043 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात पर करीब 87.7 अरब डॉलर (5.65 लाख करोड़ रुपये) खर्च किया था.
65 डॉलर प्रति बैरल का अनुमान था
वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 22.7 करोड़ टन क्रूड ऑयल के इंपोर्ट का अनुमान है. एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने वित्त वर्ष की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि 108 अरब डॉलर (7.02 लाख करोड़ रुपये) का कच्चा तेल आयात किया जाएगा. इसमें कच्चे तेल की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल मानी गई थी. इसमें एक डॉलर में 65 रुपये का भाव माना गया था.’
इसलिए बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम
भारी-भरकम ऑयल इंपोर्ट बिल के कारण भारत का व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात का अंतर बढ़कर जुलाई में 18 अरब डॉलर हो गया था. यह 5 साल में सबसे अधिक है. व्यापार घाटे से चालू खाता घाटा बढ़ता है, जिससे करंसी कमजोर होती है. रुपये में गिरावट से एक्सपोर्टर्स और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) जैसे घेरेलू तेल उत्पादकों को लाभ होगा, क्योंकि इन्हें तेल के लिए रिफाइनिंग कंपनियों से डॉलर में पेमेंट लेती हैं. हालांकि, इससे पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे.
कांग्रेस ने रुपए पर पीएम से मांगा जवाब
कांग्रेस ने डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बयान पर ‘हैरानी’ जताते हुए कहा कि ‘आर्थिक कुप्रबंधन’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली को जवाब देना चाहिए. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘मैं आरबीआई के गवर्नर के बयान से हैरान हूं. रुपया एशिया में सबसे ज्यादा गिरावट वाली मुद्रा है. भारतीय अर्थव्यवस्था की यह हालत क्यों हुई? क्या इसलिए हुई क्योंकि 12 लाख करोड़ रुपये का एनपीए है? क्या इसलिए हुई कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं?’